खगड़िया : संस्कृत के विद्वान लियाकत अली खान शिवचर्चा के माध्यम से एकता का ज्ञान बांट रहे हैं. शिव को गुरु माननेवाले बनारस के लियाकत अली खान का मानना है कि सब धर्म के मूल भाव में इंसानियत की रक्षा ही है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक नेपाल से भूटान तक वे शिवचर्चा के माध्यम से दुनिया को इंसानियत का पाठ पढ़ा रहे हैं. धर्म के नाम पर दुनिया में मचे मार-काट के बीच लियाकत अली 14 वर्षों से देश-विदेश में घूम-घूम कर एकता का संदेश दे रहे हैं. खगड़िया के माड़र गांव स्थित शहीद प्रभु नारायण पार्क में हो रही शिवचर्चा में लियाकत अली खान ने कहा कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना.
कहा जाता है कि शिवगुरु की भक्ति में वह इतना डूब चुके हैं कि महीनों तक बिना घर गये शिवचर्चा में प्रवचन करते रहते हैं. एकता को मूलमंत्र माननेवाले लियाकत अली खान कहते हैं कि दुनिया को बनाने वाला एक है. हिंदू-मुसलिम, सिख, ईसाई भले ही ईश्वर को अलग-अलग नाम से पुकारते हों, लेकिन सभी धर्म का मकसद एक ही है इंसानियत की रक्षा.
सभी धर्मों पर किया है रिसर्च : 1980 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत में एमए की डिग्री लेनेवाले मो लियाकत अली खान ने सभी धर्मों पर रिसर्च किया है. पवित्र धर्मग्रंथ गीता-रामायण, बाइबिल-कुरान आदि का गहन अध्ययन करनेवाले लियाकत कहते हैं कि धर्म तो सनातन है. हिंदूू, मुसलिम, सिख, ईसाई तो एक पंथ है. आगे वह कहते हैं कि धर्म को लोगों ने ठीक से जाना नहीं. सभी धर्म एक ही बात कहता है बुराई से दूर रह कर नेकी के रास्ते पर चल कर मानवता की रक्षा की जा
सकती है.
संस्कृत विद्वान लियाकत…
जो धर्म को नहीं जानते वही आपस में लड़ाने का काम करते हैं. शिवचर्चा के माध्यम से कौमी एकता का मिशन पूरा करने में लगे लियाकत विदेशों में भी अपने प्रवचन का लोहा मनवा चुके हैं. वह कहते हैं कि जिस घर में अतिथि की सेवा नहीं होती वह श्मशान की तरह है. उन्होंने ज्ञान बांटने को सबसे बड़ा दान बताते हुए कहा कि जो शिव को गुरु मानते हैं उनका जीवन सफल हो जाता है. उन्होंने कहा कि कण-कण में भगवान बसते हैं. धर्म के नाम पर ईश्वर को बांटा नहीं जा सकता है. जो ऐसा करते हैं उनका धर्म से कोई वास्ता नहीं होता है. धर्म के नाम पर रोटी सेंकनेवाले को आड़े हाथों लेते हुए लियाकत अली बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय का संदेश समाज को दे रहे हैं.
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के बहेलिया टोला निवासी लियाकत अली बीते 14 वर्षों से दुनिया में घूम-घूम कर शिव का संदेश बांट रहे हैं. धर्म के नाम पर इंसानियत का खून बहानेवालों को आड़े हाथों लेते हुए बनारस से आये मो लियाकत अली ने शिवचर्चा के दौरान कहा कि परिंदे नहीं होते फिरका परस्त कभी…
कभी मंदिर पर जा बैठे कभी मसजिद पर. वे कहते हैं कि सभी धर्म एक है. इसकी जड़ में इंसानियत है. कोई धर्म आपस में लड़ना नहीं सिखाता. उन्होंने कहा कि सभी धर्मों में ईश्वर को करुणा का अवतार माना गया है. इंसानियत की रक्षा को मूल मंत्र. उन्होंने कहा कि जिस घर में मेहमान की पूजा नहीं होती है वह श्मशान के समान है. सही रास्ता बताने वाले मिल जाये, तो परमात्मा व खुदा से सीधा जुड़ाव हो जाता है.
दिसंबर 2016 में अमृतसर में आयोजित सर्वधर्म सम्मेलन में लियाकत अली के मजहबी एकता पर दिये गये संदेश की दुनिया भर से आये धर्मगुरुओं ने तारीफ की थी. इंसानियत का पैगाम देने वाले लियाकत खान कहते हैं कि साथ मिलकर जो हम सब हाथ बढ़ायेंगे, तो देखते ही देखते सब रास्ते खुल जायेंगे.
धर्म पर मचे बवाल के बीच दे रहे एकता का संदेश
कश्मीर से कन्याकुमारी तक शिवचर्चा के माध्यम से दुनिया को पढ़ा रहे इंसानियत का पाठ
1980 में बीएचयू से संस्कृत में एमए करने वाले लियाकत अली खान ने सभी धर्मों पर किया है रिसर्च
खगड़िया के शहीद नारायण पार्क में शिवचर्चा के दौरान श्री खान ने दिया संदेश
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना… सर्व धर्म के मूल भाव में इंसानियत की रक्षा ही है. बुराई से दूर रह कर नेकी के रास्ते पर चलना ही धर्म है. कोई बच्चा जब पैदा होता है तो कहते हैं कि लड़का हुआ या लड़की. कोई ये नहीं कहता हिंदू हुआ या मुसलमान. मंदिर-मसजिद के झगड़े में इंसानियत की बलि देनेवाले किसी भी धर्म के रक्षक नहीं हो सकते हैं. 14 वर्षों से शिवचर्चा के माध्यम से यही संदेश तो दुनिया को दे रहे हैं.
लियाकत अली खान, शिवचर्चा प्रवचनकर्ता