खगड़िया : सदर प्रखंड के ओलापुर गंगौर पंचायत स्थित खर्राधार मुसहरी टोला में करीब 15 साल से चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 232 बीते 22 माह से बंद पड़ा हुआ है. केंद्र बंद होने के कारण यहां प्रारंभिक शिक्षा ले रहे करीब तीन दर्जन नैनिहाल का पोषाहार बंद हो गया. पठन-पाठन पीछे छूट गया. आंगनबाड़ी बंद हो जाने से अब ये मासूम अपने मजदूर माता-पिता के साथ खेत जाने लगे हैं. माता-पिता खेतों में गेहूं काटते हैं और ये बच्चे पीछे-पीछे गेहूं के बाली चुन रहे हैं. हैरानी की बात तो यह है कि इतने महीने तक बंद पड़े उक्त आंगनबाड़ी केंद्र को संचालित कराने को लेकर न तो क्षेत्र की एलएस रुचि दिखा रही है और न प्रखंड व जिले के पदाधिकारी. बता दें कि खर्राधार मुसहरी में महादलित परिवारों की संख्या दो सौ से अधिक है. बताया जाता है कि यहां करीब 15 वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन हो रहा था, लेकिन 22 महीने पहले केंद्र बंद हो गया.
यहां पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई छूट गयी. पोषाहार बंद हो गया है. वे खेत जाने लगे. इस आंगनबाड़ी केंद्र पर महीनों से टीएचआर का वितरण बंद है. गर्भवती महिलाओं व धातृ माताओं को आंगनबाड़ी केंद्र पर मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. इतना ही केंद्र पर चलने वाले टीकाकरण भी बंद पड़ा हुआ है.सेविका का नहीं है अता-पताग्रामीणों ने बताया कि पहले इस केंद्र की सेविका कोई और थी. जिनका ट्रांसफर हो गया. कई माह से वो यहां नहीं आती. अब वे अपने घर पर ही केंद्र चलाती हैं.
उनकी जगह केंद्र संख्या 232 पर कई सालों से सहायिका के रूप में काम कर रही इसी टोले की रजनी देवी का चयन सेविका के तौर पर हुआ, लेकिन इनका कोई अता-पता नहीं है. बताया कि प्रशिक्षण इन्हें कई माह पूर्व दिया गया, लेकिन यहां कभी भी इन्होंने बच्चों को नहीं पढ़ाया. इस टोले के रामप्रसाद साव, बालेश्वर सदा, लरुअन देवी, शांति देवी सहित कई लोगों ने करीब 22 महीने से इस आंगनबाड़ी केंद्र पर पठन-पाठन, पोषाहार सहित टीएचआर वितरण बंद रहने की बातें कही है. विभागीय नियमानुसार इस बंद पड़े केंद्र को बगल के आंगनबाड़ी केंद्र से भी टैग करना था. जो कि अब तक नहीं किया गया. जिस कारण दर्जनों बच्चों व महिलाओं को केंद्र पर मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है.