भू- सर्वे के लिये आवेदन प्रक्रिया शुरु
जमीन के कागजात के साथ ऑन लाईन या ऑफ लाईन जमा होंगे आवेदन
-जमीन के कागजात के साथ ऑन लाईन या ऑफ लाईन जमा होंगे आवेदन -पूर्वजों के नाम वाली जमीन के लिए वंशावली जरूरी, बंटबारा कागजात के आधार पर सभी वंशजों के नाम से बनेगा खतियान. बंदोबस्त पदाधिकारी को सीओ ने उपलब्ध कराई सरकारी भूमि का ब्योरा. खगड़िया. तीन अंचल क्रमशः खगड़िया, परबत्ता एवं मानसी के 109 मौजा में ग्रामसभा के बाद अब रैयतों/भू- धारी/ जमीन मालिक से जमीन सर्वे के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं. कई लोगों ने खतियान में अपना नाम दर्ज कराने के लिए दिया है. भू- धारियों से एक महीने तक आवेदन लिए जाएंगे. जिला बंदोबस्त पदाधिकारी अरुण कुमार झा ने बताया कि ऑफ लाइन के साथ- साथ ऑन लाइन भी लोग आवेदन दे सकेंगे. जमीन सर्वे के लिए भू- धारियों को जमीन के कागजात के साथ प्रपत्र ” दो ” में आवेदन जमा करेंगे. पूर्वजों के नाम से चल रही जमाबंदी वाली जमीन के लिए कागजात के अलावे वंशावली देना अनिवार्य होगा. तभी ऐसे जमीन का खाता उनके वंशजों के नाम पर खुलेगा. बंदोबस्त पदाधिकारी ने बताया कि पूर्वज के नाम से अगर जमीन के कागजात हैं तो सभी हिस्सेदार वंशावली एवं आपसी बंटवारा से संबंधित कागजात के आधार पर अपना नाम खतियान में दर्ज करा सकेंगे. इसके लिए सभी हिस्सेदारों के हस्ताक्षर जरूरी हैं. रैयत को देने होंगे जमीन के कागजात रैयतों को स्व- घोषणा पत्र के साथ जमीन के कागजात देने पड़ेगे. अगर जमीन उनकी खतियानी है तो वंशावली, आपसी बंटवारा कागजात, खतियान, लगान रशीद आदि देने होंगे. अगर खतियान उपलब्ध नहीं हो तो भूमि से संबंधित वैसे साक्ष्य देने होंगे, जिससे उनकी दावेदारी प्रमाणित हो सके. इसी तरह जमीन खरीदगी हो तो भू- धारी को केवाला एवं अद्यतन लगान रसीद देने होंगे. वैध कागजात नहीं देने की स्थिति में किसी भी रैयत के नाम से जमीन का खाता नहीं खोले जाने की बातें कही गई है. 21 से होगा त्रिशिमाना का निर्धारण तय समय- सीमा के भीतर भू- सर्वे कार्य निष्पादित करने के लिए दूसरे चरण में तेजी से कार्य शुरु कराए जाने की बातें कही गई है. रैयतों से आवेदन साथ- साथ पंचायतों में त्रिशिमाना भी चिन्हित किये जाएंगे. बता दें कि तीन मौजा का शिमाना जहां मिलता है, उसे त्रिशिमाना कहा जाता है. भू- सर्वेक्षण अमीन के द्वारा त्रिमाशना चिन्हित किया जाएगा.उस प्वाईंट के निर्धारण के बाद मौजा का बाउंड्री निर्धारण फिर यहां से रैयत के जमीन पर अमीन मापी के लिए पहुंचेंगे. भगवान के नाम से खुलेंगे मंदिर व ठाकुरबाड़ी की जमीन के खाते जमीन सर्वेक्षण के उपरांत नया नक्शा व खतियान बनेगा. बता दें कि पूर्व के खतियानी रैयत के साथ-साथ जमीन का खाता व खेसरा संख्या बदल जाएगा. वैध कागजात के आधार पर खतियान में वर्तमान/नए रैयत का नाम जुड़ जाएगा. नए खतियान में आम लोगों के साथ-साथ भगवान के नाम भी जुड़ेंगे. बता दें कि जिले में सैकड़ों की संख्यां में मंदिर, मठ, राम जानकी ठाकुरबाड़ी व शिवाला है, जिसके पास हजारों एकड़ जमीन है. यह अलग बात है कि इन मंदिर,मठ,राम जानकी ठाकुरबाड़ी व शिवाला है के मालिक यहां पुजा-पाठ व देख-रेख कर सेवायत/पुजारी/महंथ जमीन के मालिक बने बैठे हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह तय कर दिया है कि इस जमीन के मालिक भगवान हैं. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील वाद सं०-4850/21 में पारीत आदेश के अनुपालन को लेकर पहले ही जय सिंह निदेशक, भू-अभिलेख एवं परिमाप (राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग) द्वारा निर्देश जारी किया जा चुका है. इधर बंदोबस्त पदाधिकारी श्री झा ने कहा कि विभागीय निर्देश का शत-प्रतिशत अनुपालन कराया जाएगा. मंदिर, मठ, कबीर मठ आदि देवताओं की जमीन के अधिकार अभिलेख में देवी/देवता/कबीर पंथ आदि का नाम दर्ज होगा. सरकारी जमीन का खाता सरकार के नाम से खुलेगा जमीन का सर्वे आरंभ होने के साथ ही सभी सीओ से सरकारी भूमि ( गैर मजरूआ खास, गैर मजरुआ आम, गैर मजरुआ बकास्त, कैसरे हिन्द आदि) की सूची प्राप्त कर ली गई है. किसी भी रैयत के लिए उक्त सरकारी जमीन का अपने नाम खाता खुलवा पाना मुश्किल होगा. जिला बंदोबस्त पदाधिकारी ने साफ तौर पर कहा कि सरकारी जमीन का खाता किसी भी व्यक्ति के नाम पर नहीं खोला जाएगा. विभागीय निर्देश का सख्ती से अनुपालन कराया जाएगा. नए खतियान में सरकारी कार्यालय का भी नाम होगा दर्ज 119 साल पहले हुए जमीन के सर्वे के दौरान किसी भी सरकारी भवन का नाम खतियान में दर्ज नहीं हुआ था. लेकिन इस बार के जमीन के सर्वे में स्कूल, कॉलेज के साथ- साथ उस विभाग का भी नाम खतियान में दर्ज होगा, जिसका जमीन है. जिला बंदोबस्त पदाधिकारी ने उक्त जानकारी दी है. कहा कि इसके लिए संबंधित विभागों से जमीन के कागजात भी लिए जाएंगे. नागरिक अधिकार अभिलेख के नाम से जाना जाएगा नया खतियान साल 1902 में हुए जमीन के सर्वे के बाद तैयार भू-अभिलेख का नाम खतियान रखा गया था. तब से लोग आज तक उक्त अभिलेख को खतियान के नाम से जानते हैं. लेकिन इस बार सर्वे के बाद तैयार होने वाले भू-अभिलेख का नाम खतियान नहीं,बल्कि नागरिक अधिकार अभिलेख रखा जाएगा.सर्वे के बाद सभी रैयतों को अधिकार अभिलेख दिया जाएगा.उस कागजात के उपर रैयत के जमीन का नक्शा तथा नीचे उनके जमीन का पूर्ण ब्योरा यानि नाम,पता,खाता,खेसरा,रकवा आदि अंकित रहेगा. ऑन लाइन भी दे सकेंगे आवेदन प्रपत्र “दो “में भर रैयतों को जमीन का ब्योरा देना है. पहले चरण में शिविर कार्यालय में आवेदन जमा कराने की व्यवस्था थी. जिसके कारण रैयतों को आवेदन जमा कराने के लिए कार्यालय आना पड़ता था,लेकिन दूसरे चरण में वगैर शिविर कार्यालय आए भी आवेदन जमा करा सकेंगे. इस बार ऑफ लाइन के साथ-साथ ऑन लाइन भी प्रपत्र “दो ” जमा करने की व्यवस्था की गई है. यानि घर बैठे-बैठे भी रैयत अपना आवेदन ऑन लाइन भेज सकेंगे.
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