दाखिल-खारिज के लिए प्राप्त 51 हजार आवेदन जिले में हुए अस्वीकृत
दाखिल-खारिज के लिए प्राप्त 51 हजार आवेदन अस्वीकृत
अलौली,गोगरी,चौथम अंचल में स्वीकृत से अधिक आवेदन हुए अस्वीकृत. अपर मुख्य सचिव के जारी आदेश के बाद अब सीओ आंख मूंद कर नहीं कर पाएंगे आवेदन खारिज. अस्वीकृत करने के पूर्व सीओ करेंगे सुनवाई,रैयत की भी सुननी होगी बातें. प्रतिनिधि, खगड़िया जमीन के दाखिल-खारिज में राजस्व कर्मचारी से लेकर सीओ की मनमानी रोकने को लेकर राजस्व व भूमि सुधार विभाग के द्वारा बीते कुछ वर्षों/ महीनों में कई आदेश जारी किये गये हैं. कुछ साल पहले ऑफलाइन आवेदन प्राप्त करने के सिस्टम को समाप्त करते हुए ऑनलाइन आवेदन जमा करने की व्यवस्था लागू की गयी. निर्धारित समय-सीमा के भीतर दाखिल-खारिज के आवेदन का निष्पादन (स्वीकृत अथवा अस्वीकृत) करने, फिफो (फस्ट इन,फस्ट आउट) यानि पहले आओ,पहले पाओ की व्यवस्था,निर्धारित समय की भीतर आवेदन निष्पादन नहीं करने वाले राजस्व कर्मचारी से लेकर सीओ को चिन्हित कर कार्रवाई करने जैसे अन्य भी महत्वपूर्ण आदेश राजस्व व भूमि सुधार विभाग द्वारा जारी किये गए हैं. इधर राज्य स्तर से एक बार फिर दाखिल-खारिज में बाबूओं की मनमानी को रोकने के लिये आदेश जारी किये गये हैं. जारी आदेश के बाद अब बाद गलत मंशा से दाखिल-खारिज के आवेदन को अस्वीकृत करने वाले राजस्व कर्मी से लेकर सीओ पर लगाम लग जायेगा 51 हजार आवेदन हुए अस्वीकृत, अलौली, गोगरी अंचल टॉप पर. खगड़िया जिले में दाखिल-खारिज के लिए प्राप्त हुए आवेदन बड़ी संख्यां में रिजेक्ट हुए हैं. विभागीय आंकड़े के मुताबिक सातों अंचलों में ऑनलाइन प्राप्त 1 लाख 15 हजार 358 आवेदन के विरुद्व 57 हजार 969 आवेदन स्वीकृत तथा 51 हजार 112 आवेदन अस्वीकृत हुए हैं. दाखिल-खारिज के आवेदन रिजेक्ट करने के मामले में अलौली तथा गोगरी अंचल टॉप पर है. यहां स्वीकृत से अधिक दाखिल-खारिज के आवेदन अस्वीकृत हुए हैं. जानकारी के मुताबिक अलौली अंचल में जहां 12 हजार 383 आवेदन स्वीकृत हुए हैं, वहीं 14 हजार से अधिक आवेदन रिजेक्ट किये गए हैं. दूसरे स्थान पर गोगरी अंचल है.यहां 9 हजार 936 आवेदन स्वीकृत तथा 11 हजार से अधिक आवेदन अस्वीकृत कर दिये गए. इसी स्थिति चौथम अंचल की है,यहां दाखिल-खारिज के 5 हजार 263 आवेदन जहां स्वीकृत हुए हैं, वहीं इससे अधिक 5 हजार 288 आवेदन अस्वीकृत कर दिये गए. इसी तरह खगड़िया अंचल में 7 हजार 645,बेलदौर अंचल में 5 हजार 400,परवत्ता अंचल में 5 हजार 500,मानसी अंचल में 1 हजार 139 आवेदन अस्वीकृत हुए हैं. विभागीय आदेश के बाद अब आवेदन अस्वीकृत करने का बताना होगा कारण अब दाखिल खारिज के किसी आवेदन को सीओ एक बार में सीधे अस्वीकृत नहीं करेंगे. आवेदन अस्वीकृत करने से पहले आवेदक से उसका पक्ष जानना होगा. बिना मामले की सुनवाई किये सीओ या राजस्व अधिकारी सिर्फ कारण लिखकर इसे अस्वीकृत नहीं कर पाएंगे. आदेश फलक में सीओ को स्पष्ट रुप से इस बात का उल्लेख करना होगा कि किस कारण से वे दाखिल-खारिज के आवेदन अस्वीकृत कर रहे हैं. इतना ही नहीं अगर आवेदन अस्वीकृत किये जाने की स्थिति बनती है तो आवेदक को नोटिस जारी कर उन्हें सूचना देते हुए सीओ उनका पक्ष जानेंगे. अगर आवेदक को कोई अन्य सक्ष्य देना है तो सीओ उसे प्राप्त कर उचित कार्रवाई करेंगे. यानि आवेदन अस्वीकृत करने के पहले सीओ सुनवाई करेंग. आवेदक की बातों को सुनेंगे, उनसे प्राप्त होने वाले साक्ष्य को एडमिट कर अपना आदेश पारित करेंगे. अपर मुख्य सचिव ने डीएम को लिखा पत्र राजस्व व भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि दाखिल-खारिज का आवेदन अगर एक बार अस्वीकृत हो जाता है,तो आवेदक को इसकी अपील भूमि सुधार उपसमाहर्ता के न्यायालय में करनी पड़ती है. जबकि, कई बार कोई दस्तावेज अपठनीय रहने या प्रासंगिक दस्तावेज छूट जाने के कारण भी आवेदन में आपत्तियां लगायी जा सकती हैं. यानी छोटे-मोटे या बिना किसी ठोस कारण के सीओ आवेदन को अस्वीकृत नहीं करेंगे. अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि अधिकांश मामलों में देखा जाता है कि अंचल स्तरीय अधिकारी बिना आवेदक का पक्ष जाने आपत्ति लगा कर आवेदन अस्वीकृत कर देते हैं, जबकि प्राकृतिक न्याय के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि किसी भी मामले को अस्वीकृत करने से पहले संबंधित याचिकाकर्ता को आपत्ति की सूचना देते हुए उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए.दाखिल-खारिज अधिनियम के अनुसार, यदि अंचल अधिकारी, कर्मचारी और अंचल निरीक्षक जमीन के दस्तावेज की जांच से संतुष्ट नहीं हैं, तो वह इसकी जांच कर अपना निष्कर्ष लिखेंगे. इसके बाद संबंधित पक्षों को सुनवाई व साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा. इसके बाद भी अगर दस्तावेज अधूरे या गलत पाए जाते हैं, तो सीओ सभी संबंधित आधार का उल्लेख करते हुए आवेदन को अस्वीकृत करेंगे.
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