खगड़िया. जन सुराज विचार मंच के माध्यम से प्रशांत किशोर बिहार के बुद्धिजीवियों से अपने प्रदेश की समस्याओं की पहचान कर उससे निपटने के लिए तरीके ढूंढने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह कर रहे हैं. बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के लिए आगे का रास्ता क्या हो इसके लिए पूरे प्रदेश संवाद का सिलसिला शुरू हुआ है. एक तरफ प्रशांत किशोर स्वयं गांव-गांव पदयात्रा करके मूल समस्याओं को समझ रहे हैं. उक्त बातें जन सुराज विचार मंच के जिला संवाद सारथी अजिताभ सिन्हा ने शहर के मंडप हॉल में आयोजित संगोष्ठी में कही. बिहार की राजनीतिक दशा और दिशा पर परस्पर संवाद गोष्ठी में वक्ताओं ने जातिवाद में फंसी प्रदेश की राजनीति से लेकर जिले की बुनियादी समस्याओं को रेखांकित किया. उसके निदान का रास्ता भी बताया. अवकाश प्राप्त डाकपाल अरविंद वर्मा की अध्यक्षता में हुई. संवाद गोष्ठी में अधिवक्ता फूल कुमार सिंह ने कहा कि समाज को सुधारने के पहले हमें खुद सुधरना होगा. वरिष्ठ पत्रकार सतीश आनंद ने कहा कि सुधार और बदलाव की शुरुआत अपने आपसे करना चाहिए. चुनाव के समय हम पर जातीय आग्रह हावी हो जाता है, जो अधिकांश समस्या की जड़ है. अधिवक्ता कैलाश चंद्र यादव ने कहा कि बिहार की पहचान प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से है. सत्ता के लोभ में जातिवादी नेताओं ने बिहार का बंटवारा किया, सभी कल कारखाने झारखंड में चले गये और अब विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हैं. वकील कानून का रक्षक और न्यायालय का अधिकारी होता है, लेकिन दिन दहाड़े वकीलों की हत्या हो रही है. चिकित्सक एच प्रसाद ने बिहार में रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया. रविदास समाज के जिलाध्यक्ष किशोर दास ने कहा कि सामाजिक राजनीतिक भेदभाव दूर करके ही सभ्य समाज की स्थापना हो सकती है. वरिष्ठ पत्रकार चन्द्र शेखरम् ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य, संतुलित पर्यावरण, पलायन रोकने के उपायों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि सात नदियों वाले इस जिले में मत्स्य पालन के इतने अवसर हैं. लेकिन दूसरे राज्यों से यहां मछली आ रही है. यहां के अनाज, दूध दही, घी, मक्का मजबूरी वश बाहर भेज दिया जाता है. खगड़िया के लोग पंजाब का गेहूं खरीदने खाने को विवश हैं. उन्होंने जल जीवन हरियाली मिशन के कार्यक्रम का लाभ नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. समाजसेवी नागेन्द्र सिंह त्यागी ने कुकर मुत्ते की तरह पनप गये. ओ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के कारण भूगर्भ जल को हो रहे नुकसान, प्लास्टिक के इस्तेमाल से हो रहे पारिस्थितिक तंत्र के नुकसान पर तुरंत संघर्ष शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया. संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र सिंह तरकर, वरीय अधिवक्ता राजीव प्रसाद उर्फ पिंकू, संजीव कुमार सिंह, अनिरुद्ध जालान, सुभाष जोशी, अनन्त कुमार सिन्हा, श्रीकांत पोद्दार आदि शामिल थे. जन सुराज संवाद टीम के सदस्य पुरुषोत्तम बिहारी शर्मा ने जन सुराज विचार मंच को किसी राजनीतिक प्लेटफार्म से अलग वैचारिक और बौद्धिक मंच बताया.
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