Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे के लिए दिये गए अधिकांश लोगों के वंशावली से बेटियों के नाम गायब होने की चर्चा है. यह साजिश बहन-बेटियों को बाप-दादाओं के जमीन-जायदाद से बेदखल के लिए हो रही है. इस साजिश में कोई और नहीं, बल्कि उन बहनों के भाई और भतीजा ही शामिल हैं. कहीं पिता की संपत्ति पर बेटियां अधिकार ना जमा ले या हिस्सेदार नहीं हो जाए इसलिए ना सिर्फ पैतृक संपत्ति से उनका अधिकार छीन कर रहे हैं, बल्कि अपने पारिवारिक सूची में नाम न जोड़कर बेटियों का मायका ही गायब करने पर आमदा हैं.
क्या हकीकत आ रही सामने?
बताया जाता है कि खगड़िया जिले में भी जमीन का विशेष सर्वेक्षण चल रहा है. अपने नाम से जमीन का खाता खुलवाने एवं भू अधिकार अभिलेख में अपना नाम दर्ज कराने के लिए लोग प्रपत्र ‘दो’ में भरकर जमीन का ब्योरा जमा कर रहे हैं. वहीं बाप-दादाओं के नाम वाली जमीन के सर्वे के लिए उनके वंशज दस्तावेज के वंशावली भी जमा कर रहे हैं. लेकिन एक हकीकत यह सामने आयी है कि धन-संपत्ति के लोभ-लालच में लोग वंशावली से बहन-बेटियों का नाम गायब कर रहे हैं. जिसकी चर्चा इन दिनों खूब यही हो रही है.
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वंशावली से बेटियों के नाम हैं गायब
जिले में पहले चरण में गोगरी, अलौली, बेलदौर तथा चौथम अंचल में जहां जमीन सर्वे का कार्य शुरू हुआ, वहीं पिछले महीने से खगड़िया, मानसी तथा परबत्ता अंचल में सर्वे आरंभ हुआ है. पहले चरण में एक लाख से अधिक लोगों ने जमीन सर्वे के लिए प्रपत्र ” दो ” दिया था, जबकि दूसरे चरण में 18 हजार से अधिक लोगों ने जमीन के ब्योरे के साथ यह फॉर्म जमा कराया है. दोनों चरणों में पुस्तैनी जमीन के लिए बड़ी संख्या में जमीन मालिकों ने स्व-घोषणा पत्र के साथ वंशावली दिया है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि 90 प्रतिशत से अधिक लोगों के वंशावली में बहन-बेटी का नाम नहीं दिया. बताया जाता है कि पहले चरण में मुठ्ठी भर भू-धारियों के वंशावली में बहन, बुआ, बेटी आदि का दिया है.
अभी चल रही यही कहानी ..
भू-सर्वे के दूसरे चरण में भी ये सिलसिला जारी दिखा है. खगड़िया प्रखंड के लिए कासिमपुर पंचायत में बनाए गए शिविर प्रभारी सह सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी सुबीर कुमार की मानें तो सात हजार से अधिक जमीन मालिकों ने यहां जमीन सर्वे के लिए ऑन लाइन एवं ऑफ लाइन आवेदन दिये हैं. जबकि मानसी में बनाए गए शिविर के प्रभारी सह सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी प्रकाश कुमार के अनुसार 52 सौ लोगों ने स्व-घोषणा पत्र जमा किये हैं. इन दोनों शिविरों ( मानसी तथा कासिमपुर ) में बड़ी संख्या में बाप-दादाओं के नाम वाली जमीन के सर्वे के लिए लोगों ने वंशावली तो जमा कराए हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि दूसरे चरण में बेटियों का नाम वंशावली से गायब करने का सिलसिला जारी है. बताया जाता है कि मात्र 1-2 फीसदी लोगों के ही वंशावली में बेटियों का नाम अंकित है.
कहते हैं कानून मामलों के जानकार…
खगड़िया के अधिवक्ता अनादि गोपाल कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार पुस्तैनी संपत्ति में बेटों के साथ-साथ बेटी को समान अधिकार / हिस्सा होता है. वंशावली में अगर लोग बेटियों का नाम देंगे तो उनके नाम से भी जमीन का खाता खुलेगा. बेटियों का हिस्सा गायब करने के उद्देश्य से लोग वंशावली में उनका नाम छुपा रहे हैं, जो सही नहीं है.
कहते हैं अधिकारी…
भू-धारियों द्वारा स्व-घोषणा पत्र के साथ दिये गए वंशावली को पंचायत के आमसभा में रखा जाएगा. अगर वंशावली गलत है अथवा परिवार के किसी सदस्य ( बेटी अथवा अन्य ) का नाम उसमें शामिल नहीं किया गया है तो वहां लोग आपत्ति कर सकते हैं. जांचों उपरांत नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
अरुण कुमार झा, बंदोबस्त पदाधिकारी खगड़िया .