श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट खुलते ही दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट खुलते ही दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

By Prabhat Khabar News Desk | October 9, 2024 11:31 PM

प्रतिनिधि, परबत्ता

बुधवार की शाम शंख, घंटे एवं जय माता दी की घोष के साथ मंदिर का पट खुलते ही दर्शन के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े. श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट दर्शन के लिए खोल दिया गया. मंदिर का पट खुलते ही मां चतुर्भुजी दुर्गा का दर्शन के लिए बारी बारी से श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं. घंटों मां की जयकार से वातावरण भक्तिमय हो उठा. संध्या पूजन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया. मां की पूजा-अर्चना से सभी जगह माहौल भक्तिमय हो गया. बताया जाता है कि श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी में षष्ठी के दिन ही मंदिर का पट खोलने की परंपरा सदियों पुरानी है, जबकि गुरुवार की सुबह सभी दुर्गा मंदिरों का पट खोल दिया जाएगा. ताकि भक्तजन मां दुर्गा का दर्शन कर सकें. . दुर्गा सप्तशती का श्लोक से वातावरण भक्तिमय हो चुका हैं. मां दुर्गा की प्रतिमा पिंडी पर विराजमान होने के बाद पूजा पाठ की विधि विधान ओर बढ़ जाती हैं. पंडित डॉ प्राण मोहन कुंवर, पंडित मनोज कुंवर, आचार्य उत्कर्ष गौतम उर्फ रिंकू झा ने बताया कि षष्ठी की संध्या पिंडी पर मां की प्रतिमा विराजमान होने के बाद श्रृंगार से भरी डाली को लेकर मां दुर्गा का आह्वान किया गया. जिसे आमतौर पर अधिवास पूजा कहते हैं. वहीं सप्तमी के दिन उक्त श्रृंगार से भरी डाली का उपयोग मां भगवती की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा में किया जाता हैं. उस दिन से मां भगवती की पूजा वृहत रूप से प्रारंभ हो जाती हैं. मंदिरों में विधिवत तरीकों से पूजन को देखने के भक्तो की आना शुरू हो चुका है.

आज रात में निशा पूजन

बिशौनी गांव स्थित अति प्राचीन सिद्ध पीठ श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र के दौरान किये जाने वाले निशा पूजन का एक अलग ही महत्व है. मां शक्ति के सातवें रूप को कालरात्रि के रूप में जाना जाता है. सप्तमी को मां का महा स्नान कराया जाता है. इसी दिन रात में निशा पूजा का आयोजन होता है. मंदिर के मुख्य पुजारी के देख रेख में निशा पूजा का आयोजन किया जाता है. इस पूजन में अन्य धार्मिक क्रियाकलापों के अलावा बलि से इसकी शुरुआत होती है. इसमें काले कबूतर व काले छागड़ की बलि दी जाती है. इस पूजा की शुरुआत बारह बजे रात में होती है. जो अगले दो घंटे तक चलती है. ऐसी मान्यता है कि इस पूजन को देखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मां का आशीर्वाद मिलता है. इस पूजा को देखने के लिए प्रतिवर्ष काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में जुटते हैं. जिसके लिए मन्नत मांगी गयी है. निशा पूजा देखने एवं प्रसाद प्राप्त करने के चमत्कारिक परिणामों के दर्जनों किस्से इलाके के लोगों के जुबान पर है.

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