गोगरी. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन पालनहार भगवान विष्णु चार माह तक शयन में चले जाते हैं. इस दौरान सभी मांगलिक कार्य बंद कर दिया जाता है. भगवान विष्णु के चार माह तक ट्रेन में जाने के कारण इसे चतुर मास के नाम से भी जाना जाता है. चातुर्मास में सभी देव सो जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ जाता है. इस बार देवशयनी एकादशी के दिन चार शुभ योग बन रहे हैं. देवशयनी एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा किया जाता है. उनकी कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. पाप नष्ट होते हैं. पंडित सुशांत कुमार झा ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी की तिथि 16 जुलाई को 8:33 बजे पर शुरू है. इसका समापन 17 जुलाई को 9:02 बजे पर होगा. उदया तिथि के आधार पर देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई दिन बुधवार को रखा जायेगा और व्रत का पारण गुरुवार को होगा. जिसकी वजह से चार माह तक कोई मांगलिक कार्य नहीं होंगे. इसमें शादी, मुंडन, गृह प्रवेश आदि जैसे सभी शुभ कार्य बंद हो जायेंगे एकादशी का मुहूर्त उन्होंने बताया कि 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त से किया जा सकता है. उस दिन सुबह से ही सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. जिसमें किये गये कार्य सफल सिद्ध होंगे. देवशयनी एकादशी वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग बने हैं. यह सभी योग पूजा पाठ और शुभ कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं. व्रत के दिन अनुराधा नक्षत्र और पारण वाले दिन ज्येष्ठा नक्षत्र है.
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