प्राइवेट वाहनों को भाड़े पर चलाना अवैध, पकड़े गए तो भरना होगा जुर्माना:डीटीओ
परिवहन विभाग को प्रतिमाह लाखों का नुकसान पहुंचा रहे हैं.
टैक्स चोरी करन वालों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर सड़कों पर चलेगा जांच अभियान
खगड़िया. प्राइवेट वाहनों का कॉमर्शियल उपयोग यानि निजी वाहन को भाड़े पर चलाकर रुपये कमाने वाले वाहन मालिकों पर कार्रवाई होगी. डीटीओ विकास कुमार ने कहा कि प्राइवेट वाहनों का कॉमर्शियल इस्तेमाल बिल्कुल ही असंवैधानिक है. जो वाहन मालिक ऐसा कर रहे हैं, वो टैक्स की चोरी/सरकारी राशि को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिनके विरुद्ध कार्रवाई होगी. डीटीओ ने कहा कि सड़क पर अभियान चलाकर सरकारी राजस्व चूना लगा रहे वाहन मालिकों पर जुर्माना लगाया जाएगा. बता दें कि जिले में घड़ल्ले से परिवहन नियमों की अनदेखी हो रही है. टैक्स बचाने के लिये वाहन मालिक अपने वाहनों का प्राइवेट रजिस्ट्रेशन कराते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल कॉमर्शियल यानि रुपये कमाने के लिये वाहन को किराये पर लगाकर स्वयं तो मालामाल हो रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग को प्रतिमाह लाखों का नुकसान पहुंचा रहे हैं. इस गोरखधंधे में शामिल वाहन मालिकों विरुद्ध कार्रवाई को लेकर परिवहन विभाग द्वारा अभियान चलाई जा रही है.विशेष कार्य पदाधिकारी ने डीटीओ को लिखा गया पत्र
निजी वाहन के व्यवसायिक इस्तेमाल पर रोकथाम एवं कार्रवाई को लेकर परिवहन विभाग द्वारा निर्देश जारी किये गए हैं. विभागीय विशेष कार्य पदाधिकारी अरुणा कुमारी ने डीटीओ को पत्र लिखकर जिले में परिवहन नियमों का अनुपालन कराने को कहा है. जानकारी के मुताबिक प्राइवेट वाहनों का कॉमर्शियल इस्तेमाल पर जुर्माने का प्रावधान है. पहली बार पकड़े जाते हैं तो थोड़ा कम तथा दूसरी बार पकड़े जाने पर जुर्माने की राशि दोगुनी तक बढ़ जाती है.रुपये बचाने के लिये लोग कराते हैं प्राइवेट रजिस्ट्रेशन
वाहन खरीदने के बाद परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन कराते हैं. लेकिन असली खेल रजिस्ट्रेशन कराने के दौरान होता है. जानकार बताते हैं कि प्राइवेट से कहीं अधिक कॉमर्शियल गाड़ी के रजिस्ट्रेशन में राशि खर्च होते हैं. यानि प्राइवेट वाहन का रजिस्ट्रेशन कराने पर कम पैसे देने पड़ते हैं. वाहन की कीमत के अनुसार उनका रजिस्ट्रेशन फीस तय होता है. उनके वाहन का फिटनेस व टैक्स 15 साल के लिए एक बार में जमा होता है. जबकि कॉमर्शियल वाहन के रजिस्ट्रेशन में अधिक पैसे लगते हैं. कॉमर्शियल वाहन के लिये हर साल फिटनेस, टैक्स आदि के लिए विभाग को पैसे देने पड़ते हैं. रुपये बचाने के लिये चालाक वाहन मालिक अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन तो प्राइवेट कराते हैं, लेकिन इसका व्यवसायिक उपयोग कर विभाग को प्रतिमाह लाखों का चूना लगाते हैं. अगर वाहन की बात करें तो छोटे कार से लेकर स्कॉर्पियो, बोलेरो, विक्टा, सफारी समेत अन्य लग्जरी प्राइवेट वाहनों का घड़ल्ले से व्यवसायिक इस्तेमाल होता रहा है.
अलग अलग रंग का नंबर प्लेट होता है दोनों श्रेणी के वाहनों का
बता दें कि परिवहन विभाग द्वारा कॉमर्शियल और प्राइवेट वाहनों की पहचान के लिए नंबर प्लेट के कलर में अंतर किया है. जिस वाहन का रजिस्ट्रेशन प्राइवेट होगा, उसमें सफेद रंग का नंबर प्लेट होगा और उस गाड़ी को विशेष परमिट की जरूरत नहीं होती है. वैसे वाहन सिर्फ और सिर्फ वाहन मालिक या उसके परिवार वाले इस्तेमाल कर सकते हैं. उक्त वाहन का परिचालन भाड़े के लिए नहीं किया जा सकता. कॉमर्शियल वाहन के लिए पीला नंबर प्लेट का प्रावधान है. पीले नंबर प्लेट की गाड़ियां कॉमर्शियल हैं और वह भाड़े पर चलाने में इस्तेमाल की जाती हैं.
कहते हैं डीटीओ
वाहनों का प्राइवेट रजिस्ट्रेशन कराकर उसका व्यवसायिक इस्तेमाल बिल्कुल गलत एवं असंवैधानिक है. ऐसे वाहनों को किराये पर चलाने के पूर्व उसका रजिस्ट्रेशन प्राइवेट से कॉमर्शियल करना अनिवार्य है. टैक्स चोरी रोकने के लिये जल्द ही सड़कों पर सघन जांच अभियान चलाई जाएगी. पकड़े जाने पर वाहन मालिकों पर नियमानुसार अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी.
विकास कुमार, डीटीओडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है