बेलदौर (खगड़िया)/सुपौल. खगड़िया जिले के बेलदौर प्रखंड क्षेत्र के आधी आबादी को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप प्रभावित करती उफनाई कोसी नदी अब बसावटों के समीप पहुंचकर संपर्क के भू भाग को निगलने को आतुर है. वही संभावित बाढ की संकटों से प्रभावित ईलाके के लोगों की धड़कने भी तेज हो गयी. तेलिहार के कामा थान मुसहरी, आनंदी सिंह बासा, तिरासी टोला, बलैठा का पचाठ, डाढी, नववटोलिया, डुमरी गांव एवं इतमादी का पचबीघी, गांधी नगर एवं बारूण गांव के लोग घर के दहलीज तक पहुंचने को आतुर कोसी की तेज धारा देख बाढ की संकटों से जुझने की तैयारी में जुट गये हैं.
वही निचले ईलाके में बाढ का पानी फैलकर खरीफ की फसलों को नुकसान करने लगी है. इधर प्रतिदिन कोसी के जलस्तर में हो रही वृद्धि से ग्रामीण भयभीत हैं. किस रात कोसी का पानी कब घर में प्रवेश कर जाय इस डर से ग्रामीण रतजगा करने पर विवश हो गये हैं.
सुपौल में दो दिनों से बारिश की रफ्तार थमने के कारण कोसी के जलस्तर में कमी आयी है. बुधवार की शाम वीरपुर बराज पर कोसी का डिस्चार्ज 01 लाख 57 हजार 300 क्यूसेक दर्ज किया गया. जो घटने के क्रम में बताया गया. वहीं नेपाल स्थित बराह क्षेत्र में कोसी नदी का जलस्राव 01 लाख 26 हजार 200 क्यूसेक अंकित किया गया.
बहरहाल कोसी के जलस्तर में कमी आने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है. हालांकि तटबंध के भीतर प्रभावित इलाके में बाढ़ का पानी अभी भी फैला हुआ है. दर्जनों गांव स्थित लोगों के घरों में पानी जमा रहने के कारण उन्हें कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
स्थानीय निवासियों ने बताया कि पानी घटने से तत्काल थोड़ी राहत मिली है. लेकिन पूरा मानसून काल अभी बांकी है. फिर वर्षा की रफ्तार बढ़ने के बाद नदी का जलस्तर बढ़ेगा. यही वजह है कि जिले में कोसी तटबंध के भीतर करीब 130 गांव में बसे लगभग 03 लाख लोगों को हर वर्ष मानसून के दौरान बाढ़ व विपदा की स्थिति झेलना उनकी नियति बन चुकी है.
posted by ashish jha