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अलौली थाना में दर्ज प्राथमिकी में नामजद फर्जी क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड सेंटर फिर खुले

नामजद फर्जी क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड सेंटर फिर खुले

By Prabhat Khabar News Desk | August 25, 2024 11:30 PM

सिविल सर्जन की जांच में फर्जी पाये गये 20 में से छह नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी, फिर भी नहीं रुका फर्जीवाड़ा का खेल —– एसडीपीओ ने भी सुपरविजन में सत्य पाया है मामला, सभी नामजद क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड सेंटरों को खोलकर चल रहा गोरखधंधा ——— इन क्लीनिकों पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी 1. एस अल्ट्रासाउंड, हॉस्पिटल रोड (पूर्व में लक्ष्मी अल्ट्रासाउंड के नाम से संचालित) – संचालक कृष्णा कुमार 2. सुरक्षा अल्ट्रासाउंड, अस्पताल रोड (पूर्व में राज अल्ट्रासाउंड के नाम से संचालित) – संचालक राजदीप कुमार उर्फ राज 3. सिटी लाइफ केयर अस्पताल रोड (पूर्व में सिटी हॉस्पिटल के नाम से संचालित) – संचालक राधा कुमारी, एएनएम 4. सहारा क्लीनिक, गिद्धा (सहसी) – संचालक राजेश यादव 5. जीवन ज्योति क्लीनिक लदौड़ा- संचालक पंकज कुमार 6. बैजू क्लीनिक व दवा दुकान, सहसी -संचालक बैजू साह ——————— जांच में फर्जी पाये गये क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर प्राथमिकी के बाद संचालक द्वारा फिर से अवैध कारोबार शुरू किये जाने की जानकारी नहीं है. अगर नामजद आरोपित फिर से फर्जी क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड सेंटर चल रहे हैं तो स्वास्थ्य विभाग को फिर से जांच कर प्राथमिकी दर्ज कराना चाहिये. – संजय कुमार, एसडीपीओ अलौली. ——– सिविल सर्जन, एमओआइसी की मिलीभगत से अलौली प्रखंड में फर्जी नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड का गोरखधंधा फलफूल रहा है. उच्चाधिकारियों का दबाव पड़ने पर जांच के नाम पर नाटक किया जाता है. बाद में मोटी रकम नजराना लेकर फिर फर्जीवाड़ा करने की छूट दे दी जाती है. अभी आठ दिन पहले सम्राट नर्सिंग होम नामक फर्जी क्लीनिक में एक व्यक्ति गलत के कारण मौत हो गयी थी. आखिर ठोस कार्रवाई करने के लिए स्वास्थ्य विभाग व पुलिस प्रशासन और कितनी मौत का इंतजार करेगा. – दीपक कुमार अकेला, आरटीआइ कार्यकर्ता. ———— अलौली में जिन 6 नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच में गड़बड़ी पायी गयी थी, उस पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. अगर फिर से बोर्ड उतार कर नामजद फर्जी क्लीनिकों व अल्ट्रासाउंड सेंटर खोलकर फिर से इलाज किया जा रहा है तो जांच कर सख्त कार्रवाई की जायेगी. – डॉ. अमिताभ कुमार, सीएस. खगड़िया. अलौली में सिविल सर्जन की जांच में फर्जी पाये जाने पर दर्ज प्राथमिकी में नामजद नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड सेंटर फिर से खुलेआम संचालित हो रहे हैं. जबकि अनुसंधान में आइओ व एसडीपीओ ने भी मामला सत्य पाया है. लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई. अनुसंधानकर्ता अपनी केस डायरी में जिसे छापेमारी में फरार बता रहे हैं, वह नामजद आरोपित खुलेआम पर अलौली प्रखंड मुख्यालय में फर्जी नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर व पैथोलॉजी में इलाज के नाम पर खुलेआम फर्जीवाड़ा कर रहा है. फर्जीवाड़ा का यह खेला सबकी आंखों के सामने अलौली प्रखंड मुख्यालय में चल रहा है. सिविल सर्जन से लेकर अलौली प्रखंड प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से लेकर पुलिस अधिकारी को सब मालूम है लेकिन रोकने की बजाय थाना पुलिस से लेकर स्वास्थ्य विभाग लापरवाह बना हुआ है. अभी तीन दिन पहले ही नामजद आरोपित लक्ष्मी अल्ट्रासाउंड सेंटर द्वारा जारी मरीज की जांच रिपोर्ट इस बात की गवाही दे रहे हैं कि गोरखधंधा चालू हैं. लिहाजा, आये दिन इन फर्जी नर्सिंग होम व जांच घरों के चंगुल में फंस कर जान गंवा रहे हैं. ———– प्राथमिकी के बाद भी फिर कैसे खुल गया नामजद फर्जी क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड सेंटर इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ की शिकायत मिलने के बाद सदर एसडीओ अमित अनुराग ने 20 नर्सिंग होम व जांचघरों में छापेमारी के लिए टीम का गठन किया था. 30 नवंबर को सिविल सर्जन के नेतृत्व में पीएचसी प्रभारी सहित अन्य अधिकारियों ने अलौली के 20 नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच की थी, जिसमें सब के सब फर्जी पाये गये थे लेकिन प्राथमिकी सिर्फ छह संचालकों/सेंटरों पर ही की गयी. जबकि तीन पर अन्य कार्रवाई की गयी. ऐसे में सवाल उठता है कि जांच में 20 स्वास्थ्य संस्थानों व जांच घरों के फर्जी पाये जाने के बाद भी सिविल सर्जन ने मात्र 6 पर प्राथमिकी का आदेश क्यों दिया. बाकी बचे 14 संस्थानों पर प्राथमिकी क्यों नहीं की गयी ? सूत्रों की मानें तो इन संस्थानों पर प्राथमिकी से बचाने के लिए मोटी रकम का खेल किया गया. बता दें कि जांच के बाद सीएस के आदेश पर पीएचसी प्रभारी ने अलौली थाना में 556/23 दर्ज कराते हुये 6 क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड सेंटरों को नामजद आरोपित बनाया था. बहरहाल, नामजद नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड सेंटर फिर से खुलेआम संचालित हो रहे हैं, जहां इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ का खेल चल रहा है.

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