गोगरी. इस बार किसानों को खरीफ की खेती में परेशानी का सामना करना पड़ेगा. मौसम की बेरुखी और सरकार का सिस्टम उनके लिए कष्टदायक होगा. मालूम हो कि रोहिणी नक्षत्र 25 मई को प्रवेश कर जायेगा. इसके साथ ही किसान खरीफ की खेती में जुट जायेंगे. हालांकि बरसात नहीं होने से खेतों में नमी गायब है. इससे धान की नर्सरी तैयार करने में किसानों को ज्यादा पैसा खर्च करने पड़ेंगे. रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज डालने से रोहणी समय अनुसार होता है. उपज भी लागत के अनुरूप अधिक मात्रा में होती है, लेकिन अनुमंडल क्षेत्र में अब तक पर्याप्त बारिश नहीं होने से यह समस्या बनी हुई है. खेतों की जुताई करने में किसानों की परेशानी हो रही है. जानकार बताते हैं कि 25 में से 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र का समय है. इस दौरान 140 से अधिक दिन तक के प्रभेद का बीज खेतों में गिराया जा सकता है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो जल जाम वाली जमीन के लिए लंबी अवधि के प्रभेद वाले बीज ही उपयुक्त माना जाता है. आमतौर पर रोहिणी नक्षत्र में ही किसान लंबी अवधि वाले धान के बिचड़े खेतों में डालते हैं.
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