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नहाय खाय के साथ लोक आस्था का महान पर्व छठ पूजा शुरू

आज खरना पूजा के साथ होगी देवी षष्ठी का आगमन

By Prabhat Khabar News Desk | November 5, 2024 11:21 PM

आज खरना पूजा के साथ होगी देवी षष्ठी का आगमन,

खरना का प्रसाद ग्रहण कर छठ व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास में रहेगी

खगड़िया. लोक आस्था का महान पर्व मंगलवार को ” छठ “नहाय खाय के साथ शुरू हुआ. हर तरफ भक्ति का माहौल बना हुआ है. सभी छठ घाट को सुदृढ़ किया गया है. कई जगह वैकल्पिक छठ घाट का निर्माण किया गया है. छठ का त्योहार सूर्योपासना का पर्व है. प्राचीन धार्मिक संदर्भ में यदि दृष्टि डालें तो यह पूजा महाभारत काल के समय से देखा जा रहा है. छठ देवी सूर्यदेव भगवान की बहन हैं. ओर उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है तथा गंगा यमुना या किसी भी पवित्र नदी अथवा पोखर के किनारे पानी में खड़े होकर यह पूजा संपन्न की जाती है.

छठ पूजा चार दिनों का अत्यंत कठिन और महत्वपूर्ण पर्व है. इसका आरंभ कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी से होता है और समाप्ति कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी को होती है. छठ व्रती 36 घंटे निर्जला व्रत करती हैं. व्रत समाप्ति के बाद ही अन्न एवं जल ग्रहण करती हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी ”””””””” नहाय खाय ”””””””” मंगलवार को मनाया गया.

खरना पूजन के साथ ही घर-घर में देवी षष्ठी का होता आगमन

खरना पूजन के साथ ही घर घर में देवी षष्ठी का आगमन हो जाता है. जिसकी तैयारियों पुरी कर ली गई है. आज रात्रि को खरना पूजन किया जाएगा. पवित्रता एवं सादगी से छठ व्रती पूजन का कार्य करते हैं. घरों में छठ मैया पर आधारित लोकगीतों से माहौल भक्ति मय बना हुआ है. खरना पूजन में प्रसाद के रूप में गन्ने की रस से बनी चावल की खीर , घी पुरी, चावल का पिट्ठा बनाकर छठ व्रती भगवान को भोग लगाते हैं. इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. खरना का प्रसाद ग्रहण करके छठ व्रती 36 घंटा निर्जला उपवास में रहेगी.

तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ

कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को ( तीसरे दिन ) छठ प्रसाद बनाया जाता हैं. प्रसाद के रूप में ठेकुआ,चावल का लडुआ, सभी फल शामिल रहते हैं. शाम को पूरी व्यवस्था के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है. और छठ व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट की ओर चल पडते हैं. सभी छठ व्रती एक नियत तालाब या नदी किनारे इक्ट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान सम्पन्न करते हैं. भगवान सूर्य को जल एवं दूध का अर्घ्य दिया जाता हैं.

चौथा दिन उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य

चौथे दिन उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. जिसके बाद छठ व्रती सभी को घाट पर आशीर्वाद देती हैं. घर आकर शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद ग्रहण कर व्रत पूर्ण करते हैं.

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