राजनीतिक प्रतिष्ठा धूमिल करने की नीयत से राजद जिलाध्यक्ष पर की गयी प्राथमिकी
राजनीतिक प्रतिष्ठा धूमिल करने की नीयत से राजद जिलाध्यक्ष पर की गयी प्राथमिकी
राजद कार्यालय में जिला प्रधान महासचिव नंदलाल मंडल, जिला उपाध्यक्ष प्रमोद यादव, जिला महासचिव चंदन सिंह, जिला मीडिया प्रभारी रणवीर कुमार, युवा राजद जिला सोशल मीडिया प्रभारी विक्की आर्या, राजद नेता विजय यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी व सदर अंचल निरीक्षक द्वारा जिलाध्यक्ष मनोहर कुमार यादव पर सामाजिक, राजनीतिक प्रतिष्ठा धूमिल करने की नीयत से चार माह पूर्व दिये फर्जी आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज कर दी गयी है. शिकायत को तत्कालीन थानाध्यक्ष सह अंचल निरीक्षक नीरज कुमार सिंह द्वारा असत्य मानते हुए वरीय पुलिस पदाधिकारी को रिपोर्ट समर्पित किया किया था. असत्य किये गये आवेदन पर चार माह बाद बीते नौ अगस्त 2024 को नगर थाना में एफआइआर दर्ज किया गया है. सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के पोस्टिंग को लेकर खगड़िया के तथाकथित बीजेपी नेता द्वारा चौक-चौराहा पर कहा जा रहा है कि सदर पुलिस अनुमंडल पदाधिकारी का पोस्टिंग कराये हैं. सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पर नेताओं ने कई आरोप लगाया है. जिलाध्यक्ष मनोहर कुमार यादव पर जो चार माह बाद फर्जी आवेदन पर एफआइआर दर्ज किया गया है. इस राजद के साथी बर्दाश्त नहीं करेंगे. जिलाध्यक्ष दो बार नगर परिषद के सभापति रह चुके हैं. खगड़िया-बेगूसराय से निकाय का एमलसी का चुनाव लड़ चुके हैं. उन पर जो फर्जी आवेदन बीते 15 अप्रैल 2024 को दिया गया था कि रात के 11 बजे बलुआही बस स्टैंड के पास पूर्व से घात लगाकर जिलाध्यक्ष और उसकी पत्नी सीता कुमारी जबरन गाड़ी रुकवाकर मारपीट की. पिस्टल से फायर किया. डिक्की से 20 हजार रुपये रंगदारी के नाम पर निकाल लिया. इस तरह का आरोप लगाया गया है. बीते 16 अप्रैल 2024 को घटनास्थल पर तत्कालीन थानाध्यक्ष सह अंचल निरीक्षक नीरज कुमार सिंह ने घटना स्थल पर बलुआही बस स्टैंड के कर्मचारियों और दुकानदारों और स्थानीय लोगों से पूछताछ व जिलाध्यक्ष के आवास का सीसीटीवी फुटेज देखकर आवेदन को फर्जी करार दिया गया था. तत्कालीन थानाध्यक्ष की जांच रिपोर्ट जिलाध्यक्ष द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त हुआ था. उसके अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्राथमिकी आवेदन से उल्लेखित घटना पूरी तरह असत्य व फर्जी था. प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पुलिस अधीक्षक से मांग करते हैं कि जिलाध्यक्ष पर फर्जी आवेदन पर चार माह बाद एफआइआर दर्ज किया है. उसकी निष्पक्ष जांच की जाय और दोषी पुलिस पदाधिकारी पर कार्रवाई की जाय. नहीं तो हमलोग चरणबद्ध आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जायेंगे.
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