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बाढ़ ने बढ़ायी पशुपालकों की परेशानी, चारा की हुई किल्लत

बाढ़ ने बढ़ायी पशुपालकों की परेशानी, चारा की हुई किल्लत

गोगरी. थाना क्षेत्र में बाढ़ के कारण चारे की किल्लत से पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक ओर जहां खरीफ फसलों को बाढ़ से बचाने के लिए किसान जद्दोजहद में लगे हैं. वहीं दूसरी ओर एक साथ अधिकतर कृषि योग्य बड़े भूभाग व फसल लगे खेतों में पानी प्रवेश करने से सभी घास समाप्त हो गया है, जिससे पशुओं के चारे की किल्लत हो गयी है. चारे के अभाव में पशुपालक पशुओं का पेट नहीं भर पा रहे हैं. इससे दूध के उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. यहां के पशुपालक लखीसराय, जमुई सहित दूसरे प्रदेश के उत्तर प्रदेश, पंजाब से आयातित धान के पुआल एवं भूसा पर निर्भर है. क्षेत्र में चारे की किल्लत की वजह चारे के कीमतों में उछाल आ गया है. यहां के पशुपालक विभिन्न हिस्सों से माल वाहक वाहन से सूखा चारा खरीद कर ला रहे हैं. कुछ लोगों के लिए यह व्यवसाय भी हो गया है. वहां कम कीमत पर सूखा चारा लाकर उसे यहां मनमाना कीमत में बेचा जा रहा है. अनुमंडल के गोगरी व परबत्ता प्रखंड के दियारा क्षेत्र के अधिकांश इलाकों में पानी फैले रहने के कारण बाहर से आ रहा चारा मनमाना कीमत में खरीदना पशुपालकों की मजबूरी बन गयी है. गत तीन माह में पशुचारा की कीमत में डेढ़ गुणा तक की वृद्धि हुई है. तीन माह पूर्व 1000 रुपये प्रति क्विंटल ही दर से बिकने वाला भूसा फिलहाल 1500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि 1500 से दो हजार रुपये प्रति हजार की दर पर बिकने वाला पुआल की कीमत 3500 रुपये प्रति हजार तक पहुंच चुकी है. जबकि पशुआहार की कीमत में प्रति क्विंटल एक से डेढ़ सौ रुपये तक की वृद्धि हुई है. स्थानीय स्तर पर भूसा व पुआल की उपलब्धता नहीं रहने के कारण पशुपालक पूर्ण रूप से आयातित चारा पर निर्भर हैं. अग्रिम भुगतान करने के एक सप्ताह बाद उन्हें पशुचारा मुहैया कराया जाता है.

कहते हैं पशुपालक

इस संबंध में पशु पालक मदन मोहन झा, ओपी यादव, बबलू यादव, बादल यादव सहित कई ने बताया कि बाढ़ के कारण धान की पैदावार नहीं होने की वजह से चारे की किल्लत हुई है. बंगाल से आने वाली आहार पर ही पशु की निर्भरता है. अनुमंडल क्षेत्र के पशुपालकों ने अनुदानित दर पर सरकार से पशु चारा मुहैया कराने की मांग की है.

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