करोड़ों की सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री में फंसे आधा दर्जन सीओ, सीआई सहित कई राजस्व कर्मचारी
जमीन की खरीद-बिक्री में फंसे आधा दर्जन सीओ, सीआई सहित कई राजस्व कर्मचारी
अधिकारियों के नाक के नीचे सरकारी जमीन की होती रही रजिस्ट्री, सीओ से लेकर सीआई बने रहे लापरवाह ———-
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सुनवाई के दौरान पकड़ी गड़बड़ी तब हुआ करोड़ों की जमीन की अवैध रजिस्ट्री के खेल का खुलासा
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डीपीजीआरओ ने अपर समाहर्ता राजस्व को दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई के दिये निर्देश, आयुक्त व डीएम को भेजी गई आदेश की कॉपी
प्रतिनिधि, खगड़िया
शहर व इससे सटे इलाके में करोड़ों की सरकारी जमीन खरीद-बिक्री मामले में सात सीओ, सीआई सहित कई राजस्व कर्मचारी पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी विमल कुमार सिंह ने सुनवाई के दौरान सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री के खेल को पकड़ा कि कैसे जिम्मेदार अधिकारियों के नाक के नीचे सालों तक सरकारी जमीन की रजिस्ट्री होती रही. सुनवाई के बाद डीपीजीआरओ ने सीओ समेत राजस्व विभाग के अधिकारियों व कर्मियों पर कार्रवाई का फैसला सुनाया. अपर समाहर्ता राजस्व को सरकारी जमीन की खरीद बिक्री मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिये गये हैं. अग्रतर कार्रवाई के लिए फैसले कॉपी आयुक्त से लेकर डीएम को भी भेजी गयी है.
————-जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में सुनवाई के दौरान यह बातें सामने आई कि वरीय पदाधिकारी के आदेश के बाद भी खगड़िया अंचल के तत्कालीन सीओ ने सरकारी भूमि की पूरी सूची निबंधन कार्यालय को नहीं भेजी थी, जिसके कारण बड़ी संख्या में सरकारी भूमि को रोक सूची में शामिल नहीं किया जा सका. सीओ की लापरवाही के कारण क्रेता-विक्रेता बेरोकटोक सरकारी भूमि की खरीद-बिक्री करते रहे. लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने माना कि विगत आठ सालों में खगड़िया अंचल में सीओ व आरओ के पद पर पदस्थापित/ प्रभार में रहे आधे दर्जन से अधिक पदाधिकारी से लेकर वर्तमान सीओ सहित मथुरापुर एवं सन्हौली मौजा के कई राजस्व कर्मचारी सरकारी भूमि की खरीद-बिक्री की जानकारी देने के बाद भी लापरवाह बने रहे. बता दें कि अपने-अपने कार्यकाल में इन सभी राजस्व पदाधिकारी/सीओ ने साल 2015 के बाद खरीद किये गए गैर मजरुआ खास तथा बकास्त भूमि के दाखिल-खारिज आवेदन को अस्वीकृत कर दिया, लेकिन बिक्री पर रोक लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. एक रिटायर एडीएम ने बताया कि दाखिल-खारिज आवेदन अस्वीकृत करने के साथ ही तत्काल खरीद-बिक्री पर भी रोक लगाने की कार्रवाई की जाती तो स्थिति इतनी भयावह नहीं होती.
कहते हैं अधिकारी
अंचल कार्यालय से प्राप्त गैर मजरुआ खास एवं बकास्त भूमि के खेसरा को रोक सूची में शामिल कर दिया गया है. अब आगे से ऐसी जमीन की खरीद-बिक्री सक्षम पदाधिकारी के अनुमोदन के बाद ही होगा. नवनीत कुमार, अवर निबंधन पदाधिकारी, खगड़ियाडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है