प्रेम को जिसने जाना, वही सत्य को पहचाना: चंदेश्वर जी महराज
जो भरत जी के चरित्र को अपनाएंगे, वही सुख पूर्वक जीवन जीएगा
महारूद्र यज्ञ के सातवें दिन श्रद्धालुओं ने कथा का किया रसपान
चौथम. प्रखंड के कैथी में आयोजित महारूद्र यज्ञ के सातवें दिन श्रद्धालुओं ने कथा का रसपान किया. कैथी कार्तिक स्थान परिसर में आयोजित महायज्ञ में कथवाचक चंदेश्वर जी महराज उर्फ चंद्रिका प्रसाद शास्त्री ने कहा कि प्रेम जीव को शिव से मिला देता है. भरत जी साक्षात प्रेम के प्रतिमूर्ति हैं. जो भरत जी के चरित्र को अपनाएंगे, वही सुख पूर्वक जीवन जीएगा. संत शिरोमणि कबीर भी कहते हैं कि ढाई अक्षर प्रेम पढ़े सो पंडित होए. कहा कि जीव के जीवन में एक ही लक्ष्य है, परमत्व की प्राप्ति. हमें भी इस संसार में असली तत्व को पहचान करना है.मंत्रोंच्चारण के साथ गांव का माहौल हुआ भक्तिमय
महारुद्र यज्ञ के मौके पर वैदिक पंडितों के मंत्रोच्चार से पूरा इलाका गुंजायमान हो गया. इस दौरान यज्ञाचार्य पंडित जितेन्द्र झा शास्त्री, पंडित मदनकांत शास्त्री, पंडित मनीष झा, मिंटू झा, रितेश झा, पंडित सुजीत झा, पंडित अखिलेश झा, पंडित ऋतिक झा, पंडित बलराम झा, पंडित अनीश झा, पंडित उदित नारायण झा आदि द्वारा लगातार वैदिक मंत्रोच्चार कर पूजा अर्चना व हवन कराया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है