अवहेलना: कई विभागों के बाबू कर रहे विभागीय नियम-निर्देशों की अनदेखी
वाहन मालिकों से इसके लिए एग्रीमेंट कर उन्हें प्रत्येक महीने विभाग द्वारा राशि का भुगतान किया जाता है
डीईओ, डीपीओ, ईई सहित कई अफसर निजी वाहन को किराये पर लेकर कर रहे इस्तेमाल.
खगड़िया. जिले में बड़ी संख्या में प्राइवेट रजिस्ट्रेशन वाले वाहनों का इस्तेमाल लोग रुपये कमाने में कर रहे हैं. ऐसे वाहन मालिक रजिस्ट्रेशन तो प्राइवेट यानि निजी/ पारिवारिक इस्तेमाल के लिए कराते हैं, लेकिन उपयोग व्यवसायिक तौर पर करते हैं. लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि इसमें वाहन मालिकों को सरकारी बाबू का भी पूरा सहयोग मिल रहा है. बता दें कि जिले के अधिकांश विभागों में किराये पर वाहन (बोलेरे, स्कॉर्पियो आदि) लिए गए हैं. वाहन मालिकों से इसके लिए एग्रीमेंट कर उन्हें प्रत्येक महीने विभाग द्वारा राशि का भुगतान किया जाता है. लेकिन वाहन के एग्रीमेंट के दौरान परिवहन नियमों की घोर अनदेखी की जा रही है. अगर यह कहा जाए कि बाबुओं ने आंख मूंद कर वाहन मालिकों से एग्रीमेंट कर लिया,तो यह कहना बिल्कुल ही गलत नहीं होगा. क्योंकि कई विभागों में ऐसे वाहनों को किराये पर लिया गया है, जिसका रजिस्ट्रेशन प्राइवेट है. बता दें कि नियमों को ताक पर रखकर न ऐसे वाहनों को किराये पर लिए जा रहे हैं, बल्कि प्रतिमाह लाखों रुपये भुगतान भी किया जा रहा है. इस लिस्ट में शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, एसएफसी, स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग विभाग सहित अन्य विभाग के अफसर शामिल हैं. ऐसे में यह गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि जवाबदेह ही अगर गैर जवाबदेह बन जाए तो कानून का पालन कैसे होगा.डीईओ, डीपीओ, ईई कर रहे प्राइवेट वाहन का उपयोग
जिले में कई विभागों में प्राइवेट वाहनों को किराये पर लिया गया है. ऐसे वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी प्राइवेट है, लेकिन इसका इस्तेमाल व्यवसायिक हो रहा है. या यूं कहें कि राजस्व की चोरी अथवा परिवहन विभाग को चूना रहे वाहन मालिकों से किराये पर लेकर ये पदाधिकारी उनके गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी, सहायक, निदेशक सामाजिक सुरक्षा कोषांग, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, आईसीडीएस, कार्यपालक अभियंता पीएचईडी, कोषागार पदाधिकारी, एसएफसी सहित कई विभागों के पदाधिकारी का नाम इस लिस्ट में शामिल है. जानकार बताते हैं कि वाहन मालिक के साथ एग्रीमेंट के दौरान तत्कालीन/वर्तमान पदाधिकारियों इस बात का तनिक भी ख्याल नहीं रखा कि परिवहन विभाग का नियम आमलोगों के साथ- साथ उनपर भी लागू होता है. बता दें कि परिवहन विभाग द्वारा प्राइवेट तथा व्यवसायिक वाहनों के लिए अलग-अलग रंग का नम्बर प्लेट निर्धारित किया गया है. प्राइवेट वाहन में उजला तथा कॉमर्शियल वाहनों में पीला कलर का नम्बर प्लेट लगा होता है. उक्त पदाधिकारियों के वाहन पर प्राइवेट नम्बर लिखा है. प्रखण्ड से लेकर जिला कार्यालय में रोजाना ऐसे वाहन खड़े मिल जाएंगे.किराये की राशि रोककर एसओ ने वाहन मालिक पर बनाया दबाव
ऐसा नहीं है कि सारे पदाधिकारी परिवहन नियम की अनदेखी कर रहे हैं. कई ऐसे भी पदाधिकारी हैं जिन्होंने वाहन मालिक पर दबाव बनाकर उनके वाहन का रजिस्ट्रेशन प्राइवेट से कॉमर्शियल कराया. बताया जाता है कि जिला बंदोबस्त पदाधिकारी अरुण कुमार झा जिस वाहन का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो भी कुछ दिन पहले तक प्राइवेट था. लेकिन अधिकारी की सख्ती/ दबाव (किराये भुगतान रोके जाने पर) के बाद वाहन मालिक ने वाहन का रजिस्ट्रेशन कॉमर्शियल कराया. एसडीओ अमित अनुराग, भू-अर्जन पदाधिकारी तेज नारायण राय, लोक शिकायत एडीएम विमल कुमार सिंह, डीटीओ विकास कुमार एवं कुछ अन्य पदाधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे वाहन का रजिस्ट्रेशन व्यवसायिक है.कहते हैं अधिकारी
प्राइवेट वाहन का कॉमर्शियल इस्तेमाल गलत है. यह नियम सभी पर लागू होता है. उन्हें भी इस बात की जानकारी है कि कुछ विभागों में प्राइवेट वाहनों का उपयोग हो रहा है. विभागीय नियम- निर्देश के अनुपालन को लेकर संबंधित विभागों को पत्राचार किया जा रहा है. विकास कुमार , डीटीओडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है