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जीवन में गुरु नहीं तो उसके पास बुद्धि नहीं..

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खगड़िया

गुरु शिष्य परंपरा को लेकर मिश्री सदा महाविद्यालय के सांस्कृतिक सभाकक्ष में प्रभारी प्राचार्य डॉ अर्जुन साह की अध्यक्षता में संगोष्ठी आयोजित की गई. संगोष्ठी में प्रो सतीश प्रशाद सिंह ,सुधीर कुमार, सियाशरण दीन, चांदनी कुमारी, शबनम कुमारी, सोनम कुमारी, काजल कुमारी, कोमल कुमारी आदि ने भाग लिया. प्रभारी प्राचार्य डॉ अर्जुन साह ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा भारत की अद्भुत परंपरा है. प्रो. सतीश सिंह ने कहा कि आदर, समर्पण, सद्भाव के बिना सम्यक संबंध नहीं हो सकता है. राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम पदाधिकारी ने कहा कि आषाढ पूर्णिमा महर्षि वेद-व्यास के जन्म दिन पर मनाया जाता है. गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि रवि पंचक जाको नाहीं, ताहि चतुर्थी नाहिं. सप्तमी ताको घेरे रहे, ताहि तृतीया नाहिं. अर्थात जिसके जीवन में गुरु नहीं है, उसके पास बुद्धि नहीं होगी. उसे कठिनाइया घेरे रहेगी. उसके जीवन में मंगल नहीं आ सकती. सहजो बाई ने कहा कि गुरु की महिमा अनंत है, अनंत किया उपकार, अनंत लोचन उघारिया, अनंत दिखावनिहार. आरूणी, एकलव्य, अर्जुन आदि श्रेष्ठ शिष्य के उदाहरण हैं. मुनि संदीपन, गुरु वशिष्ठ, गुरु द्रोण उत्कृष्ठ गुरु के उदाहरण हैं. इनसे सीख लेकर गुरु-शिष्य परंपरा को बनाए रखना चाहिए.

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