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रमज़ान में इबादत के साथ स्वयं व दूसरों को रखें महफूज व स्वस्थ

खगड़िया : लॉकडाउन अवधि में ही मुसलमानों का पवित्र महीना आगामी 25 अप्रैल से शुरू होने वाला है. 24 अप्रैल को रमजानुल मुबारक का चांद देखा जायेगा. अगर चांद दिखा तो 25 अप्रैल को पहला रोजा होगा अन्यथा 26 अप्रैल को होगा. लॉकडाउन और शारीरिक दूरी का पालन करते हुए रमजान में इफ्तार के समय […]

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खगड़िया : लॉकडाउन अवधि में ही मुसलमानों का पवित्र महीना आगामी 25 अप्रैल से शुरू होने वाला है. 24 अप्रैल को रमजानुल मुबारक का चांद देखा जायेगा. अगर चांद दिखा तो 25 अप्रैल को पहला रोजा होगा अन्यथा 26 अप्रैल को होगा. लॉकडाउन और शारीरिक दूरी का पालन करते हुए रमजान में इफ्तार के समय इस वबा (कोरोना वायरस) के अंत के लिए दुआ जरूर करें. इस महीने में मुसलमान खूब इबादत करते हैं. अपने गुनाहों की माफी के लिए दुआएं करते हैं. दिन रात पवित्र कुरान की तिलावत करते हैं. रात में भी तरावीह के नमाज़ में खड़े हो कर पूरे महीने क़ुरान को सुनते हैं.

साथ ही साहब ए हैसियत लोग अपनी संपत्ति का 2.5 प्रतिशत ज़कात के नाम पर ग़रीब, लाचार, विधवा आदि को देते हैं. मगर इस वर्ष रमज़ान ऐसे समय शुरू हो रहा है कि पूरा विश्व एक खतरनाक कोरोना वायरस की महामारी के दौर से गुजर रहा है. जिस में लोगों को एक दूसरे से दूर रहकर जान बचाने की कोशिश की जा रही है. धर्मगुरूओं, बुद्धिजीवियों व चिकित्सकों ने की घरों में ही रहकर इबादत करने की अपील की है. इबादत के लिए मस्जिद नहीं आने की अपील, घर में रहकर करें इबादत जमीयित उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष अल हाज सैयद खालीद नजमी, मुफ्ती मुजहिदुल इस्लाम कासमी, महासचिवकारी मो सरफ़राज़ आलम, सचिव मो अमजद नज़ीर एवं उपाध्यक्ष मो मोहिउद्दीन ने अपील किया है कि इस बार नमाज़ ए तराबीह अपने घरों में ही रहकर अदा करें.

लोगों से इस रमजानुल मुबारक में इबादत के लिए मस्जिद नहीं आने का आग्रह किया है.इंसानी जान अनमोल: डाॅ रहमान प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एसजेड रहमान ने बताया कि इंसानी जान अनमोल है इसकी हिफाज़त हर हाल में करनी चाहिए. जिस काम से पूरे समाज पर खतरा मंडराए हमें उस काम से परहेज़ करना चाहिए. कोशी कॉलेज के प्रोफेसर डाॅ तौसीफ मोहसीन ने बताया कि रमज़ान में हमें रोज़े रखने हैं और तरावीह भी पढ़ना है मगर शारीरिक दूरी सबसे अधिक होना चाहिए. नबी ने जान की हिफाजत करने का दिये हुक्म डॉ. अताउर रहमान ने बताया कि हम स्वास्थ्य रहेंगे तभी नेकी कर सकेंगे. हमारे नबी साहब ने भी अपने जान की हिफाज़त करने का हुक्म दिया है और परहेज करने कि ताकिद फ़रमाया है. रोसड़ा कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर सोहैल ने बताया कि घरों में अकेले ही इबादत करनी है. ऐसा न हो कि हम लोगों को अपने अपने घरों में ही जमा कर लें. इस लिए बुद्धिजीवी के साथ आलिम (धार्मिक विद्वान) भी हमें झुंड के बजाए सिर्फ अपने घरों में अपने परिवार के साथ ही इबादत करने की तलक़ीन कर रहे हैं. इसलिए हम सभी को उनकी बातें माननी चाहिए और उसपर अमल भी करना चाहिए. ताकि अपने साथ पूरे देश के साथ समाज का का भला हो सके.

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