परबत्ता. प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कबेला के प्रांगण 11 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा, श्रीराम कथा, श्री शिव कथा (अष्टांग योग साधना, ध्यान मंत्र विशेष प्रवचन) में श्री वृन्दावन धाम से पधारे श्री कृष्ण चैतन्य भागवत भक्त परिवार के संस्थापक सह कथाव्यास पूज्य गुरुदेव बाल्यभाव श्री बालकृष्ण लाल महाराज ने नवमें दिन की कथा के मुख्य प्रसंग में “श्री राम जी के साथ सुग्रीव कि मित्रता कि कथा, बाली सुग्रीव युद्ध, बाली उद्धार कथा, जामवंत के द्वारा श्री हनुमान जी महाराज के बल को याद दिलाकर समुद्र लांघने के परामर्श देना एवं श्री हनुमान जी का लंका के लिए प्रस्थान तथा सुरसा से भेंट करते हुए छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध की कथा सुनाते हुए “दुनिया चले ना श्रीराम के बिना राम जी चले ना हनुमान के बिना ” भजन श्रवण कर सारे श्रोता भक्तगण झूम उठे. कथाव्यास ने कहा कि सीता जी की खोज करने जा रहे हनुमानजी जब समुद्र लांघ रहे थे, तो उनकी गति बहुत तीव्र थी. जब लंका हनुमानजी से कुछ योजन दूर रह गई थी तो समुद्र में रहने वाली एक विशालकाय राक्षसी की नजर उन पर पड़ी. वो राक्षसी थी सिंहिका, जो इच्छानुसार रूप धारण कर सकती थी. वह ऐसी राक्षसी थी, जो जीवों को उनकी छाया के जरिए भी अपने वश में कर लेती थी. सिंहिका ने जब देखा कि एक विराट वानर समुद्र के ऊपर से लंका की ओर बढ़ा चला जा रहा है तो वह उसे खाने दौड़ पड़ी. सिंहिका ने सबसे पहले हनुमान जी की छाया पकड़ी तो हनुमान जी की गति अवरुद्ध हो गई. तब हनुमानजी को वानरराज सुग्रीव की कही बात याद आ गई. उन्हें यकीन हो गया कि सुग्रीवजी ने जिस छायाग्राही अद्भुत जीव की चर्चा की थी, वह निःसंदेह यही है. तब बुद्धिमान हनुमानजी ने अपने शरीर के आकार को बहुत बढ़ा लिया. बताते चले कि पहले यह कथा नौ दिनों की थीं जिसे बढ़ाकर 11 दिन किया गया है.
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