खगड़िया. रविवार को करवा चौथ का व्रत होगा. महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखेगी. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति की उम्र लंबी होती है. करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के सभी व्रतों में बेहद खास है. इस दिन महिलाएं दिन भर भूखी-प्यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है. महिलाएं पति की खातिर निर्जला व्रत रखती हैं. पूरे विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के बाद करवा चौथ की कथा सुनी जाती है. फिर रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत संपन्न होता है. मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. खजरैठा गांव निवासी पंडित मनोज कुंवर बताते है कि करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त चतुर्थी तिथि प्रारंभ 20 अक्टूबर रविवार सुबह 10 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ शाम 08 बजकर 49 बजे के बाद चन्द्र अर्घ्य दिया जाएगा. कैसे मनाते हैं करवा चौथ का त्योहार करवा चौथ की तैयारियां पुरी हो गई है. सुहागिन महिलाएं कपड़े, गहने, शृंगार का सामान और पूजा सामग्री खरीदी. करवा चौथ वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाती है. इसके बाद सुबह हाथ और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है. पूजा की थालियों को सजाया जाता है. व्रत करने वाली आस-पड़ोस की महिलाएं शाम ढलने से पहले किसी मंदिर, घर या बगीचे में इकट्ठा होती है. यहां सभी महिलाएं एक साथ करवा चौथ की पूजा करती है. इस दौरान गोबर और पीली मिट्टी से पार्वती जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है. आज कल माता गौरी की पहले से तैयार प्रतिमा को भी रख दिया जाता है. चंद्रमा के उदय पर अर्घ्य दिया जाता है. पति की आरती उतारी जाती है. पति के हाथों पानी पीकर महिलाओं के उपवास का समापन हो जाता है. पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए बाजार में शनिवार को भीड़ लगी रही. व्रतियों द्वारा बाजार में मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी की खरीदारी हुई.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है