पसराहा सड़क हादसा- परबत्ता (खगड़िया)सोमवार को हुए सड़क हादसे की दर्दनाक दास्तां सुनकर लोग सिहर उठते हैं. किसी ने सोचा भी न था कि एक हल्की चूक का खामियाजा एक साथ इतने लोगों को अपनी जान देकर चुकानी होगी. दरअसल, बैसा पंचायत के बिठला गांव से बरात बनकर एक शादी समारोह में शामिल होने दर्जनों गांवों के लोग चौथम प्रखंड के ठुठी मोहनपुर के ठाकुर टोला गये थे. शादी से लौटते वक्त एनएच 31 पसराहा पेट्रोल पंप के नजदीक अनियंत्रित एसयूवी एक ट्रैक्टर से टकरा गयी और फिर हर और चीख पुकार मच गया.
इस हादसे के बाद लोगों का कहना है कि आखिर जिस गाड़ी में 5 से 6 लोगों को बैठना था, उसमें एक दर्जन से भी अधिक लोग कैसे बैठ गये. लौटते वक्त बरातियों को सुबह होने का इंतजार कर लेना चाहिए था. इस हादसे ने न केवल एक घर, बल्कि अलग-अलग प्रखंडों के आधा दर्जन गांवों के आठ घरों के चिराग को हमेशा के लिए बुझा दिया.
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जिस गांव में आती दुल्हन,उस गांव में दो युवकों का आया लाश
हादसे के 24 घंटे बाद भी लोग अपनों को भुला नहीं पा रहे हैं. इन घरों में चूल्हे भी नहीं जले हैं. गांव वाले भी इस घटना से व्यथित हैं. मानसी प्रखंड के रोहियार गांव में दो मासूम चचेरे भाई मोनू एवं अमन कि जैसे ही अर्थी उठी पूरा गांव रो पड़ा. इधर, बिठला गांव में भी कुछ ऐसा ही नजारा था. इस गांव के गौतम ठाकुर एवं जयप्रकाश सिंह का जैसे ही शव पहुंचा लोग सिहर उठे. जिस गांव की महिलाएं वर वधु आने के इंतजार में थे उस गांव में दो-दो शवों के पहुंचते ही चीख पुकार मच गयी.
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इकलौते पुत्र की मौत से सदमा
लगार पंचायत अंतर्गत बिशौनी गांव निवासी विकास ठाकुर एवं प्रमिला देवी के इकलौते पुत्र 22 वर्षीय अंशु कुमार एवं खजरैठा नवटोलिया निवासी अर्जुन ठाकुर एवं पूनम देवी के इकलौते पुत्र 22 वर्षीय बंटी कुमार की मौत से ना केवल उनके माता-पिता सदमे में है. बल्कि, पूरा गांव रो रहा है. ग्रामीणों की माने तो यह दोनों युवा काफी होनहार था दोनों स्नातक का छात्र था. ग्रामीणों ने बताया कि इन दोनों के माता-पिता काफी गरीब हैं. जैसे तैसे भूखे पेट रहकर इन्होंने अपने इकलौते पुत्र को अच्छी एवं उच्च शिक्षा दिलवाया. लेकिन, न जाने इन दोनों को किनकी नजर लगी और एक पल में उनके माता-पिता का सपना चकनाचूर हो गया.
पुत्र के वियोग में पिता ने जान देने की कोशिश
आंखों में आंसू लिये लोग इन दोनों युवाओं के बारे में बात कर सिहर उठे. ग्रामीणों ने बताया कि अर्जुन ठाकुर तो अपने पुत्र की मौत से इतने टूट चुके हैं कि एक तरफ जहां शव की अंतिम संस्कार को लेकर घाट ले जाने की तैयारी चल रही थी. ठीक उसी वक्त अर्जुन ठाकुर भी अपनी जान देने की कोशिश की. लेकिन तभी जैसे तैसे घरवालों ने उन्हें बचाया. पुत्र की मौत के बाद इन दोनों घरों के हालात को शब्दों में बयां करना यहां के लोगों के लिये भी काफी मुश्किल है.
मंगलवार को एक साथ उठीं दादा-पोते की अर्थी
सड़क हादसा में खजरैठा पंचायत के नोनियाचक निवासी पलटू ठाकुर एवं उनके पोते दिलखुश कुमार की मौत से गांव में मायूसी छाई हुई है. मंगलवार को दादा पोते की अर्थी उठते ही उपस्थित सभी की आंखें नम हो गई. बताया जाता है कि पलटू ठाकुर के तीन पुत्र जो अन्य प्रदेश में रहते थे. मंगलवार सुबह नोनियाचक घर पहुंचे. उसके बाद दाह-संस्कार के लिए निकाला. ग्रामीण बताते हैं कि मृतक पलटू ठाकुर बड़े ही सरल स्वभाव के थे. दादा पोते की दर्दनाक मौत से आस पास के घरों में दो दिनों से किसी के घरों में चूल्हा नहीं जला है. वही दिलखुश के पिता एवं मां की आंखें की आंसू रो-रो कर सुख चुका है.