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विभाग के साईट पर अपलोड होगा रैयतों का स्व-घोषणा पत्र, गलत वंशावली दी तो पड़ोसी ही कर देंगे शिकायत

पूरी पारदर्शिता के साथ होगा जमीन का सर्वेक्षण

, हर गतिविधि की जानकारी होगी सार्वजनिक बाहर रह रहे लोगों की जमीन का भी होगा सर्वे, ऑनलाइन जमा कराएं कागजात प्रतिनिधि, खगड़िया भू-धारियों को भू-सर्वेक्षण के दौरान स्व-घोषणा पत्र देना होगा. जिसमें उनकी परिसंपत्ति यानि जगह-जमीन का पूरा डिटेल के साथ- साथ संपत्ति से जुड़े साक्ष्य भी देना होगा. रैयत ऑन लाइन अथवा शिविर में अपना स्व-घोषणा पत्र (प्रपत्र ” दो ” में भरकर) जमा करा सकेंगे. इन दोनों माध्यमों से रैयतों के द्वारा दिये गए स्व-घोषणा पत्र को ” भू-सर्वेक्षण सॉफ्टवेयर ” पर अपलोड किया जायेगा. विभाग के साइट पर रैयतों से प्राप्त जमीन से जुड़े सभी कागजात को अपलोड किया जाएगा. जहां रैयत के साथ- साथ दूसरे लोग भी विभागीय साइट पर यह देख सकेंगे. बता दें कि पहले चरण में भू-सर्वेक्षण में यह सुविधा नहीं थी. लेकिन दूसरे चरण में सर्वे को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से सभी रैयतों के स्व-घोषणा पत्र को विभागीय साइट पर अपलोड किये जाने की बातें जिला बंदोबस्त पदाधिकारी अरुण कुमार झा ने कही है. क्या-क्या होंगे इसके फायदे रैयतों के स्व- घोषणा पत्र विभाग के साइट पर अपलोड करने के कई फायदे होंगे. जिला बंदोबस्त पदाधिकारी झा ने कहा कि भू-धारी के साथ-साथ दूसरे व्यक्ति भी हर किसी के द्वारा दिये गए स्व-घोषणा-पत्र एवं उसके साथ संलग्न जमीन के कागजात, वंशावली आदि देख सकेंगे अगर कोई व्यक्ति गलत वंशावली/ कागजात/ जमीन का खाता, खेसरा आदि जमा कराते हैं तो उनकी बेइमानी की शिकायत कोई व्यक्ति कर सकेंगे. इसके अलावे दूसरा फायदा यह होगा कि आपसी मनमुटाव या फिर दुश्मनी के तहत कोई हिस्सेदार दूसरे हिस्सेदार को जमीन का कागजात नहीं देते हैं तो विभाग के साइट से वो (जिन्हें कागजात नहीं दिया गया) कागजात की जानकारी अमीन को देकर अपना नाम खतियान में दर्ज करा सकेंगे. इसके अलावे ऑफ लाइन स्व-घोषणा पत्र जमा करने वाले भू-धारी ” भू सर्वेक्षण सॉफ्टवेयर ” पर जाकर स्वयं से वे इस बात की जांच कर सकेंगे कि अमीन ने उनके सभी कागजात जमा किये अथवा नहीं. बाहर रहने वाले ऑन लाइन करा सकेंगे स्व-घोषणा पत्र जिला अथवा राज्य से बाहर रहने वाले लोग ऑन लाइन कागज भेज सकते हैं. हालांकि ऑन लाइन की सुविधा यहां रह रहे लोगों के लिए भी है. जिला बंदोबस्त पदाधिकारी ने कहा कि बाहर रह रहे लोगों को बस इतना बताना है कि आपकी जमीन कौन सी है और उसकी सीमाएं क्या है. इसके लिए उन्हें सबूत के तौर पर जमीन से जुड़े कागजात सर्वेक्षण टीम को देने होंगे. ये कागजात ऑनलाइन भी जमा कर सकते हैं. भारत में कहीं भी हों या फिर विदेश में. कहीं से भी वे अपने जमीन के कागजात जमा करा सकते हैं. बताया कि सर्वेक्षण टीम जो रिकॉर्ड बनाएगी, उसे लोग कुछ महीने बाद देख सकेंगे. इसे ड्राफ्ट पब्लिकेशन कहते हैं. अगर ड्राफ्ट पब्लिकेशन में किन्हीं को लगता है कि उनकी जमीन किसी और के नाम पर दिखाई जा रही है, तो वे ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं. उनकी शिकायत पर सुनवाई होती है, तो उस समय बाहर रह रहे व्यक्ति स्वयं आकर अथवा अपने परिवार के किसी सदस्य को अपना पक्ष रखने के लिए भेज सकेंगे. लोगों को मिलेंगे पूरा मौका बताया गया कि भू-सर्वेक्षण के दौरान जमीन मालिक को उनकी बातों को रखने के लिए तीन मौके दिये जाएंगे. सरकार का मकसद जल्दबाजी में सर्वेक्षण करना नहीं है. लोगों को अपने जमीन के कागजात दिखाने का पूरा मौका दिया जाएगा. अगर शुरुआत में कोई गलती होती है अथवा सर्वेक्षण टीम के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, तो भू-धारी को तीन बार अपील करने का अधिकार है.

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