कन्हैयाचक गांव में 1857 से हो रही है मां काली की पूजा
कन्हैयाचक गांव में 1857 से हो रही है मां काली की पूजा
नगर पंचायत के कन्हैयाचक गांव स्थित मां काली की महिमा अपरंपार है. यहां पूजा व नाटक का मंचन अंग्रेज जमाने से होता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि कन्हैयाचक गांव में मां काली मंदिर की स्थापना 1875 में हुई थी. उस समय मिट्टी व खपरैल के मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू की गयी थी. इसमें तत्कालीन हरनाथ सिंह का योगदान था. बाद के कुछ वर्षों में मां के आशीर्वाद से जब लोग सम्पन्नता की ओर बढ़ते गये तो मां का पक्का मंदिर बनाया गया. इसके बाद मां काली की पूजा धूमधाम से होने लगी. 1938 में मां काली नाट्य कला की स्थापना हुई उस समय के नाट्य कला परिषद से जुड़े स्मृति शेष भुवनेश्वर मिश्र माने जाते हैं. नाट्य कला परिषद कन्हैया चक में जितने भी पूर्व में डायरेक्टर आये सभी ने अपना अमिट छाप छोड़ दिया है. नाट्य कला परिषद के चर्चित डायरेक्टर स्मृति शेष जगदंबा गुरुजी, तारणी शर्मा, सहदेव शर्मा, गोखले चौधरी भी अपनी अमिट छाप छोड़ गये. काली पूजा में दूर-दराज से भक्तगण मां के दरबार में पहुंचते हैं. मां काली की कृपा से गांव में संपन्नता बढ़ी. इस कारण दो वर्ष पूर्व पुरानी मंदिर को तोड़कर नया मंदिर बनाया गया. 31 अक्टूबर को मां की प्रतिमा पिंडी पर विराजमान किया जायेगा. साथ ही प्रतिज्ञा नामक नाटक का मंचन किया जायेगा. एक नवंबर को दिन में विशेष पूजन एवं संध्या में सामूहिक भव्य आरती का आयोजन किया जायेगा, जबकि दो नवंबर को प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा.
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