प्रतिनिधि, बेलदौर
प्रखंड मुखिया संघ ने सरकार द्वारा पंचायतों के अधिकार में कटौती किए जाने के फैसले का विरोध करते एकजुट होकर इसे निरस्त कराये जाने को लेकर आंदोलन का शंखनाद कर दिया है. सोमवार को प्रखंड मुखिया संघ अध्यक्ष गौरी शंकर शर्मा के नेतृत्व में मुखिया एवं इनके प्रतिनिधियों ने सरकार के फरमान के विरोध में पुतला दहन कर जमकर आक्रोश जताया. वहीं प्रखंड अध्यक्ष गौरी शंकर शर्मा के आवास पर आपातकालीन बैठक कर पंचायत के अधिकार को कम करने की सरकार के साजिश का जमकर निंदा करते इसके विरोध में आंदोलन तेज करने पर चर्चा हुई. बैठक की अध्यक्षता संघ के प्रखंड अध्यक्ष सह बेला नोवाद मुखिया शर्मा एवं संचालन संघ के उपाध्यक्ष सह महिनाथनगर मुखिया दिनेश यादव ने की. बैठक के दौरान इन्होंने बताया कि सरकार के द्वारा जो पंचायत के कार्यों में बाधा उत्पन्न किया जा रहा है, पंचायत के विकास को सरकार अवरुद्ध करना चाहती है. सरकार जो तुगलकी फरमान जारी किया है उसको जब तक सरकार वापस नहीं लेगा तब तक मुखिया संघ इसका विरोध करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि पंचायती राज में सरकार अब टेंडर प्रक्रिया लाना चाहती है जो सरासर गलत है जिसका मुखिया संघ पुरजोर विरोध करते हैं. इसके अलावे इन्होंने बताया कि सरकार द्वारा पंचायत स्तर पर निविदा प्रक्रिया लागू किया जा रहा है, त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थानों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा एवं पंचायत का विकास अवरूद्ध होगा. इस तरह की फरमान को सरकार वापस लें अन्यथा बिहार प्रदेश मुखिया संघ बाध्य होकर सड़क से लेकर विधानसभा तक का घेराव करेंगे. वहीं माली मुखिया प्रतिनिधि कौशल सिंह एवं पचौत मुखिया प्रतिनिधि अशोक कुमार मंडल ने बताया कि बिहार सरकार एवं पंचायती राज विभाग के पदाधिकारी पंचायत स्तर के विकास में रोड़ा उत्पन्न कर पंचायत के लोगों को विकास से दूर रखना चाहते हैं. बलैठा मुखिया विरेन्द्र उर्फ कारे सहनी सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते कहा कि बिहार सरकार के द्वारा पंचायत में 15 लाख रुपया से कम की लागत की योजनाओं को टेंडर करने के दिशा में जो निर्णय कैबिनेट में लिया गया है वह सरासर गलत है यह ग्राम पंचायत को कमजोर करने का सरकार की साजिश है. डुमरी के मुखिया प्रतिनिधि विनय कुमार एवं सकरोहर के मुखिया प्रतिनिधि नीतीश कुमार ने सरकार के इस फैसले का विरोध करते बताया गया कि सरकार के द्वारा जो फरमान जारी किया गया है उसे पंचायत के लोगों का विकास रुक जाएगा और सरकार अब मुखिया और वार्ड सदस्य के अधिकार का खत्म करना चाह रही है.
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