खगड़िया. फर्जी शिक्षक नियोजन से जुड़े मामले में कई साल बाद भी इस भ्रष्टाचार में शामिल शिक्षा विभाग के बाबुओं पर कार्रवाई नहीं हो पाई है. कार्रवाई से जुड़ा मामला निगरानी विभाग में पेंडिंग है, लेकिन कार्रवाई में अड़ंगा शिक्षा विभाग के पदाधिकारी लगाए हुए हैं. हाल के दिनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिले के शिक्षा विभाग के पदाधिकारी के असहयोगात्मक रवैये के कारण इस मामले में कार्रवाई नहीं हो पा रही है. बता दें कि निगरानी विभाग के पदाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (स्थापना) की पोल खोलकर रख दी है. भ्रष्टाचार से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई में भाग लेने राज्य सूचना आयोग पहुंचे निगरानी विभाग के पुलिस उपाधीक्षक विकास कुमार श्रीवास्तव की बातें सुन उस वक्त मुख्य सूचना आयुक्त भी दंग रह गए, जब इन्होंने बताया कि आयोग के आदेश के बाबजूद खगड़िया जिले के शिक्षा पदाधिकारी तथा जिला प्रोग्राम पदाधिकारी ( स्थापना) कागजात / अभिलेख उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. बता दें कि फर्जी शिक्षक नियोजन से जुड़े मामले की सुनवाई राज्य सूचना आयोग में चल रही है. निगरानी विभाग को इस बात की जानकारी देना है कि इस मामले में क्या कार्रवाई हुई है. मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश पर सुनवाई में भाग लेने पहुंचे निगरानी विभाग के पदाधिकारी ने डीडीओ / डीपीओ ( स्थापना ) द्वारा अभिलेख नहीं दिये जाने की बातें कही है . लापरवाह शिक्षा विभाग के पदाधिकारी पर कार्रवाई करने के आदेश जारी
भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में कार्रवाई की जगह आयोग के आदेश की अवहेलना तथा लापरवाही बरत रहे शिक्षा विभाग के बाबुओं पर कार्रवाई होगी. कारवाई को लेकर मुख्य सूचना आयुक्त त्रिपुरारी शरण ने आदेश जारी किये हैं. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को आदेश जारी कर मुख्य सूचना आयुक्त ने दोषी शिक्षा विभाग के अफसरों के विरुद्ध अविलंब अनुशासनिक कार्रवाई आरंभ कर आयोग को अवगत कराने को कहा है. मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश के बाद जिले के शिक्षा पदाधिकारी तथा जिला प्रोग्राम पदाधिकारी ( स्थापना ) के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की तलवार लटक गई है, क्योंकि फर्जी शिक्षक नियोजन से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में इनके स्तर से लगातार लापरवाही बरती जा रही है. मुख्य सूचना आयोग के आदेश की अवहेलना करने सहित फर्जी शिक्षक नियोजन से जुड़े मामले की जांच कर रही निगरानी विभाग को सहयोग नहीं करने के आरोप में शिक्षा विभाग के बाबुओं पर अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश जारी किये गए हैं.
अगली सुनवाई के दिन स्वयं आयोग में उपस्थित रहेंगे डीईओ व डीपीओ..
मुख्य सूचना आयुक्त ने आदेश जारी कर अगली सुनवाई की तिथी को जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला प्रोग्राम पदाधिकारी ( स्थापना ) को आयोग में स्वयं उपस्थित रहकर अपना पक्ष रहने को कहा है. बताया जाता है कि पिछली सुनवाई के दिन राज्य सूचना आयोग में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी ( स्थापना ) तो उपस्थित थे, जिला शिक्षा पदाधिकारी अनुपस्थित थे .
आठ साल में सूचना नहीं देने पर आयुक्त ने कहा अत्यंत खेदजनक है स्थिति.
जिले के आरटीआई कार्यकर्ता शैलेन्द्र सिंह तरकर द्वारा इस मामले में सूचना मांगी गई थी. सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई सूचना उपलब्ध कराने की समय-सीमा अधिकतम 30 दिन निर्धारित है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि 8 साल बीत जाने के बाद भी इस मामले (शिक्षक नियोजन से जुड़े जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई) में आवेदक को सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है. सुनवाई के दौरान यह बातें सामने आने के बाद गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त त्रिपुरारी शरण ने कहा था कि यह अत्यंत खेदजनक है कि वर्ष 2016 में दायर यह सूचना अभी तक निष्पादित नहीं हो पाया है. मुख्य सूचना ने कहा है कि आठ वर्षों में इस प्रकार की महत्वपूर्ण सूचना उपलब्ध नहीं कराना शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर खेदजनक टिप्पणी है.
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