गोगरी : पर्यावरण से वर्तमान समय में कई पक्षियों की प्रजाति लुप्त हो गई है. प्रजातियों के लुप्त होने के कारण कई तरह की समस्याएं भी देखने को आ रही हैं. वर्तमान समय में खगड़िया जिले में मैनी और गौरैया की प्रजाति काफी कम हो गई है. वहीं जिले में चील तो साफ तौर पर ही नहीं देखी जा सकती.इसके अलावा भी कई प्रजाति खगड़िया जिले के वन अभ्यारण क्षेत्रों से गायब हो चुके हैं. जबकि वन विभाग के पास में पक्षियों को लेकर कोई आंकड़ा नहीं है.
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कई प्रजातियों के गायब होने से ही वर्तमान समय में टिड्डियों का प्रभाव देखने को मिल रहा है. बढ़ते प्रदूषण और टेक्नोलॉजी व तरंगों के कारण पक्षियों के कुछ प्रजाति लुप्त हो रहे हैं. इससे जैव विविधता में भी अंतर देखा जा रहा है. इस बार विश्व पर्यावरण दिवस पर भी केंद्र सरकार ने जैव विविधता को ही थीम बनाकर पर्यावरण दिवस मनाने का संकल्प लिया है.
सरकारी अस्पताल जैव विविधता को काफी प्रमोट किया जायेगा.उत्तर प्रदेश और बिहार में काफी हद तक टिड्डी पहुंच गई है. इससे किसानों को नुकसान होने को लेकर जिला प्रशासन लगातार किसानों को सजग करने सहित अन्य कदम उठा रहा है. टिड्डियों के पहुंचने से किसानों को होने वाले नुकसान को देखते हुए सजग रहने की जरुरत है.
Posted by Pritish Sahay