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संभावित बाढ़ से पूर्व बांध को करें दुरूस्त

संभावित बाढ़ से पूर्व बांध को करें दुरूस्त

संभावित बाढ़ से पूर्व बांध को करें दुरूस्त, इलाज व दवा की व्यवस्था करने का आदेश

प्रतिनिधि, खगड़िया

साल 1987 से लगातार एक नियत अंतराल के बाद बाढ़ की त्रासदी झेल रहे जिले को बचाने के लिए विभिन्न नदियों के तटबंधों को दुरुस्त करने सहित बाढ़ पूर्व तैयारी करने के आदेश किया गया है. जानकारी के मुताबिक राज्य स्तर से बाढ़ को रोकने के साथ-साथ अगर बाढ़ आ जाए तो लोगों को कम से कम परेशानी हो इसकी व्यवस्था बाढ़ अवधी के पहले कर लेने को कहा गया है. इस अवधी के पूर्व सभी तटबंधों की जांच कराने, कमजोर जगहों को चिह्नित कर उसे मजबूत करने तथा तटबंधों पर जमें अवैध अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिये गए हैं. गौरतलब है कि बाढ़ अवधी के दौरान नदियां पूरी उफान पर रहती है. नदियों की तेज धारा को तटबंधों को तोड़ने को बेताब रहती है. प्रायः कमजोर तटबंधों पर स्थिति विकराल रूप ले लेती है. साल 2021 में भी बाढ़ अवधी के दौरान तेतराबाद गांव में पानी के तेज बहाव के कारण बूढ़ी गंडक के तटबंध का आधे से अधिक भाग क्षतिग्रस्त हो गया था. हांलाकि नदी का जलस्तर कम रहने के कारण स्थिति नियंत्रण में ही रही. बाढ़ अवधी के दौरान इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए पूर्व में जांच कर तटबंधों को मजबूत करने के आदेश राज्य मुख्यालय से जारी किये गए हैं. मालूम हो कि जिले में बाढ़ पूर्व तैयारी करने एवं कमजोर तटबंधों को मजबूत करने के आदेश खगड़िया के साथ-साथ दूसरे जिले के डीएम व विभागीय अभियंताओं को दिये गए हैं. हांलाकि सबकी नजर खगड़िया जिले पर होगी. वो इसलिए क्योंकि बाढ़ का खतरा खबसे अधिक रहता है.

वर्ष 1987 से 2007 तक प्रलयकारी बाढ़ से टूटे थे बांध

जानकार बताते हैं कि 1987 से जिले का सातों प्रखंड लगातार बाढ़ से प्रभावित रहा है. इसके अलावे कई बार तो तटबंध टूटने से जिले में बाढ़ आ गयी. खगड़िया जिले दूसरे जिले के नदियों के तटबंध टूटने से अधिक होता रहा है. साल 1987, 2000, 2002 तथा 2007 में भीषण बाढ़ आई थी. इन सालों में दूसरे जिले में नदीं के तटबंध टूटे थे. वहीं गंगा, कोशी, बागमती नदी के जलस्तर में हुई भारी वृद्धि के कारण भी कई पंचायत बाढ़ से प्रभावित होता रहा है. इधर बाढ़ की आशंका के मद्देनजर समय रहते कमजोर तटबंधों को दुरुस्त करने सहित बाढ़ अवधी यानी 15 जून से 31 अक्तूबर तक तटबंधाें की सुरक्षा एवं कटाव स्थलों पर चौकसी रखने के लिए निरंतर गश्ती की व्यवस्था करने के आदेश दिये हैं. तटबधों की सुरक्षा के लिए वहां गृह रक्षक, लाठी बल की तैनाती करने के भी आदेश दिये हैं.

राज्य व जिला स्तर से आदेश किया गया जारी

संभावित बाढ़ से निपटने के लिए आपदा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिले में तैयारी करने को कहा है. बाढ़ अवधी के दौरान तटबंध न टूटे इसके लिए तटबंधों का मरम्मत व सुदृढ़िकरण कराने को कहा है. अगर बाढ़ आ भी जाए तो लोगों को कम-से-कम नुकसान/परेशानी हो इसकी व्यवस्था पहले ही कर लेने को कहा है. बाढ़ के दौरान प्रभावित लोगों के ठहरने के लिए ऊंचे स्थल का चयन करने, लोगों के दवा-इलाज, खाद्यान, पेयजल, शौचालय, पशुचारा सहित पूरी व्यवस्था निर्धारित तिथी के पूर्व कर लेने को कहा है.

इलाज व दवा की व्यवस्था को लेकर दिये निर्देश

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में डायरिया सहित अन्य रोग के रोकथाम के लिए जिले में ओआरएस एवं एन्टीडायरियल संबंधित दवा प्रर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने को कहा गया है. बाढ़ के समय/पश्चात कुत्ता एवं सियार काटने की घटनाएं प्रायः बढ़ जाती है. इसी तरह बाढ़ के दौरान सर्पदंश की घटनाओं में वृद्धि होने की बातें सामने आती है. प्रधान सचिव ने कहा है कि दवा उपलब्ध नहीं रहने के कारण परेशानी हो सकती है. उन्होंने प्रर्याप्त मात्रा कुत्ते/सियार काटने की दवा यानी एन्टीरेबीज तथा सभी अस्पतालों में सर्पदंश की दवा यानी एएसवीएस की दवा प्रर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने को कहा है. दवा के साथ-साथ इलाज की व्यवस्था भी दुरुस्त रखने के निर्देश दिये गए हैं. जिले में मेडिकल टीम का गठन करने समेत बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चलन्त/स्थाई/अस्थाई चिकित्सा दल का गठन करने को कहा गया है. बाढ़ प्रभावित उन क्षेत्रों में स्कूल,पंचायत भवन में अस्थाई अस्पताल चलाने को कहा है, जहां बाढ़ अवधी के दौरान महामारी फैली हो तथा वहां प्रभावितों की संख्या अधिक हो. बाढ़ के पानी से घिरे गांव के लोगों के इलाज के नौका औषधालय की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिये गए हैं.

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