Republic Day: बिहार के खगड़िया जिले के सुदूर इलाके में एक ऐसा गांव है जहां 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर न सिर्फ झंडा फहराया जाता है, बल्कि मेला और भारत माता पूजा का भी आयोजन किया जाता है. जिले के पिपरपाती गांव में यह परंपरा 1950 से चली आ रही है, जब देश में पहली बार गणतंत्र दिवस मनाया गया था. उस समय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले कई लोगों ने यहां भारत माता की पूजा की थी और गांव वालों ने मेले का आयोजन किया था, तब से यह परंपरा चली आ रही है.
हर साल लगता है मेला
भारत माता मंदिर पिपरपाती गांव में स्थित है. जहां 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्रता सेनानियों और ग्रामीणों ने मिलकर यहां भारत माता की प्रतिमा स्थापित की थी. तब से हर साल गणतंत्र दिवस पर ग्रामीण यहां मेला लगाते हैं. इस दिन गांव के ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों से भी लोग मंदिर में आकर भारत माता की आरती और पूजा करते हैं और मेले का आनंद उठाते हैं. बिहार में लगने वाला यह अपनी तरह का इकलौता मेला है.
झंडोतोलन से पहले होती है पूजा
यह मंदिर गांव के सरकारी स्कूल के पास स्थित है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस मंदिर में किसी भी अन्य त्यौहार से अधिक भीड़ उमड़ती है. दो दिवसीय इस मेले में बच्चे, युवा, महिलाएं और पुरुष बड़ी संख्या में जुटते हैं. गणतंत्र दिवस के दिन यहां सुबह सबसे पहले भारत माता की पूजा की जाती है. इसके बाद झंडोतोलन का कार्यक्रम होता है. मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. यहां विभिन्न प्रकार की दुकानें और झूले भी लगाए जाते हैं जिनका लोग आनंद लेते हैं.
1950 में स्थापित की गई थी प्रतिमा
26 जनवरी 1950 को जब संविधान लागू हुआ तो यहां सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी दीपनारायण सिंह और उनके भाई कमलाकांत सिंह ने गांव में ध्वजारोहण कर भारत माता की पूजा की थी. साथ ही भारत माता की स्थायी प्रतिमा स्थापित की थी. यह परंपरा आज भी जारी है. मंदिर में भारत माता के साथ दुर्गा माता की भी प्रतिमा स्थापित है.