डीआरएम के आदेश बाद भी पार्किंग व स्टेकिंग की जमीन से नहीं हटा खुदरा बाजार
सबसे बड़ा सवाल यह है कि डीआरएम के अनुसार पार्किंग व स्टेकिंग के लिए आवंटित जमीन पर खुदरा दुकान लगाना अवैध है,
रेलवे द्वारा पार्किंग व स्टेकिंग के लिए आवंटित जमीन पर खुदरा दुकानदारी को अवैध करार देते हुए डीआरएम ने दिये थे कार्रवाई के आदेश ठेकेदार व स्थानीय रेल अधिकारी के मेल से रेलवे की जमीन पर कुर्सी व शेड डाल कर खुदरा दुकान के लिए हो रही बुकिंग, रोज हो रही हजारों की वसूली पार्किंग व स्टेकिंग के लिए दी गयी रेलवे की जमीन पर खुदरा बाजार लगाने के मामले में सीनियर डीसीएम को जांच के आदेश दिये गये हैं. यह बात बिल्कुल साफ है कि पार्किंग व स्टेकिंग के लिए दी गयी रेलवे की जमीन पर किसी भी प्रकार की खुदरा दुकानदारी अवैध है. ठेकेदार द्वारा इकरारनामा के उल्लंघन पर कार्रवाई में कोई देरी नहीं होगी. – विवेक भूषण सूद, डीआरएम सोनपुर. स्टेकिंग के लिए दी गयी जमीन पर सामानों की थोक बिक्री मान्य है. खुदरा दुकान खोलकर दुकानदारी नहीं की जा सकती है. पूरे मामले में डीसीआइ व आरपीएफ से जांच कर रिपोर्ट मांगी गयी है. – रोशन कुमार, सीनियर डीसीआइ, सोनपुर. खगड़िया पार्किंग व स्टेकिंग के ठेके पर दी गयी रेलवे की जमीन पर खुदरा दुकान लगवा कर ठेकेदार द्वारा दुकानदार से रोज हजारों की वसूली का मामला तूल पकड़ लिया है. पांच दिन पहले सोनपुर मंडल रेल प्रबंधक विवेक भूषण सूद ने पार्किंग व स्टेकिंग की जमीन पर खुदरा बाजार को अवैध करार देते हुए कार्रवाई के आदेश दिये थे लेकिन स्थानीय रेल अधिकारी द्वारा कार्रवाई करने की बजाय सोनपुर में बैठे उच्चाधिकारियों को भ्रामक जानकारी देकर गुमराह किया जा रहा है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि डीआरएम के अनुसार पार्किंग व स्टेकिंग के लिए आवंटित जमीन पर खुदरा दुकान लगाना अवैध है, ऐसे में डीआरएम के आदेश के बाद भी 100 से अधिक खुदरा दुकान कैसे खुले हुण् हैं ? डीआरएम द्वारा खुदरा दुकानदारी पर कार्रवाई के आदेश का पालन करने में डीसीआइ व आरपीएफ अधिकारी क्यों आनाकानी कर रहे हैं ? आरपीएफ इंस्पेक्टर अरविंद कुमार राम ने कहा कि डीसीआई द्वारा मेमो मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जायेगी. इधर, डीसीआइ कुमुद रंजन ने खुदरा बाजार लगाने के मामले में कार्रवाई के सवाल पर चुप्पी साध लिया है. इधर, रेलवे की जमीन पर खुदरा बाजार लगाने के मामले में कार्रवाई नहीं करने के पीछे मोटी रकम के खेल की चर्चा जोरों पर है. ————– पहले 40 रुपये प्रतिदिन देते थे, अब दे रहे 100 रुपये रोज इधर, रेलवे से इकरारनामा को ताक पर रख कर ठेकेदार द्वारा 100 से अधिक खुदरा दुकान लगा कर रोज हजारों रुपये की वसूली हो रही है. डीसीआइ से लेकर स्थानीय रेल अधिकारियों को सब मालूम हैं लेकिन कार्रवाई की बजाय लीपापोती करने में लगे हैं. पार्किंग व स्टेकिंग की जमीन पर चप्पल की दुकान लगाने वाले खुदरा दुकानदार ने बताया कि 56 वर्गमीटर के एरिया में दुकान लगाने के एवज में अभी ठेकेदार को 100 रुपये रोज देना होता है. ठेकेदारी होने से पहले 40 रुपये रोज लगता था. दुकानदार ने कहा कि ठेकेदारी के बाद खुदरा दुकान के लिए शेड व कुर्सी बना कर देने का ठेकेदार को 25 से 50 हजार रुपये और देना होगा. बहरहाल, स्थानीय रेल अधिकारी खुदरा दुकान लगने पर लाख पर्दा डालना चाहे लेकिन पार्किंग व स्टेकिंग के नाम पर ठेकेदार द्वारा 100 से अधिक खुदरा दुकान खोल कर खेल किया जा रहा है. —————- पटरी किनारे खुदरा बाजार हादसे को दे रहा आमंत्रण इधर, पटरी किनारे लगने वाले खुदरा बाजार में खरीदारी करने के लिए रोज सैकड़ों लोग पटरी व घेराबंदी पार करके जा रहे हैं. ऐसे में किसी दिन बड़ा हादसा होने की आशंका है. छोटे छोटे नवजात बच्चों को गोद में लेकर महिलाएं पटरी व घेराबंदी पार कर रेलवे की जमीन पर लग रहे खुदरा बाजार में आ-जा रही है. यहां तक कि साइकिल लेकर भी लोग पटरी व घेराबंदी पार करने से नहीं हिचक रहे हैं. यह सब पटरी से एक से दो मीटर की दूरी पर हो रहा है. जबकि रोज 50 जोड़ी ट्रेन इस होकर गुजरती है. ट्रेन गुजरने वक्त पटरी किनारे लोग खड़े रहते हैं. ट्रेन पार करने के बाद फिर से पटरी होकर आना जाना शुरू हो जाता है. जो हादसे को आमंत्रण देने जैसा है. ऐसे में राजस्व बढ़ाने के लिए रेलवे का यह कदम किसी दिन जानलेवा न बन जाए. ————— पार्किंग व स्टेकिंग के लिए रेलवे के नियम रेलवे द्वारा किये गये करार में पार्किंग में साइकिल, मोटरसाइकिल, ई रिक्शा, दो, तीन, चार पहिया वाहन, ट्रक, बस आदि वाहनों की पार्किंग व वस्तुओं का संग्रह व स्टेकिंग में क्रमबद्ध ढ़ेर, टाल, चट्टा एवं अन्य वस्तुओं का संग्रह व थोक बिक्री किये जाने का प्रावधान है. प्रावधान के अनुसार रेलवे की जमीन पर खुदरा दुकान खोलकर बाजार लगाने पर पाबंदी है.
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