मिलर पर मेहरबानी में खुद फंसे एसएफसी के तत्कालीन जिला प्रबंधक, 28.59 लाख की होगी वसूली
मिलर पर मेहरबानी में खुद फंसे एसएफसी के तत्कालीन जिला प्रबंधक, 28.59 लाख की होगी वसूली
खगड़िया. मिलर पर मेहरबानी करके एसएफसी के तत्कालीन जिला प्रबंधक अनुज कुमार फंस गये. मामला मिलर को धान कुटाई का लाइसेंस देने से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि वर्ष 2011 में नियम कायदे को ताक पर रख मिलर से एकरारनामा किया गया. बैंक गारंटी तक नहीं ली गयी. बाद में मिलर ने 28.59 लाख रुपये का चावल (सीएमआर) नहीं लौटाया. लिहाजा, सरकार व विभाग को इतनी बड़ी राशि की क्षति उठानी पड़ी. पूरे मामले में तत्कालीन जिला प्रबंधक अनुज कुमार पर गठित आरोप पत्र पर सुनवाई के बाद मुंगेर प्रमंडल के आयुक्त ने भी आरोप सच/प्रमाणिक पाया. जिसके बाद विभाग ने तत्कालीन जिला प्रबंधक से 28.59 लाख रुपये की वसूली करने का आदेश दिया है. साथ ही निंदन की भी सजा दी गयी है. सरकार के अवर सचिव राजीव कुमार द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि वरीय उप समाहर्त्ता-सह-जिला प्रबंधक, राज्य खाद्य निगम, खगड़िया में पदस्थापन अवधि में मेसर्स कोशी कृषक राईस मिल, रामचन्द्रा से बैंक गारंटी नहीं ली गयी. साथ ही एकरारनामा नियमानुकूल नहीं रहने के कारण प्रमादी मिलर के द्वारा जमा नहीं किये गये सीएमआर के समतुल्य राशि की वसूली नहीं की गयी. इसके कारण राज्य खाद्य निगम को 28 लाख 59 हजार 839 रुपये की आर्थिक क्षति हुई. विभागीय प्रावधान के अनुरूप एकरारनामा नहीं किये जाने के कारण सरकारी राजस्व की वसूली नहीं की जा सकी. आरोपित एसएफसी के तत्कालीन जिला प्रबंधक अनुज कुमार वर्तमान में कृषि विभाग पटना में उपसचिव पद पर पदस्थापित हैं. फर्जी जमीन के कागज के नाम पर किया फर्जीवाड़ा फर्जी आदमी, फर्जी जमीन आदि फर्जीवाड़ा को दरकिनार कर मेसर्स कोशी कृषक राइस मिल, रामचन्द्रा पर मेहरबानी दिखाते हुये वर्ष 2011 में धान कुटाई का लाइसेंस दे दिया गया. एकरारनामा में जिस जमीन पर मिल चलाने की बात कह कागजात सौंपे गये, एसडीओ द्वारा जांच में उस जमीन पर मिल नहीं, बल्कि खेती होने की बात सामने आयी. सदर एसडीओ की जांच में उस जमीन पर मकई की फसल लगी हुई थी. मतलब, कागज पर संचालित मिल के संचालक मिलर को लाइसेंस दे दिया गया. इतना ही नहीं जिस जमीन पर मिल अवस्थित होना बताया गया है उसी जमीन के बाबत समर्पित अभिलेख में भूमि मालिक के रूप में अशोक कुमार, पिता- जगदीश प्रसाद का नाम दर्शाया गया है, जबकि मिल मालिक द्वारा उक्त जमीन के बाबत किराया एकरारनामा विश्वजीत कुमार, पिता स्वर्गीय राम प्रसाद के साथ किया गया. इससे उक्त जमीन किसकी है, इसका भी पता नहीं चल पाया. इतना ही नहीं एकरारनामा के कागजात में वर्णित भूमि के वास्तविक मालिक संबंधित प्रमादी मिलर विनोद कुमार सिंह नही थे. बताया जाता है कि उक्त मिलर पर मेहरबानी की बारिश कर दी गयी. बाद में पता चला कि धान लेने के बाद मिलर ने 28.59 लाख का धान गबन कर लिया. बता दें कि तत्कालीन जिला प्रबंधक अनुज कुमार (बिप्रसे), कोटि क्रमांक 980/11. तत्कालीन जिला प्रबंधक, राज्य खाद्य निगम, खगड़िया के विरूद्ध खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग से प्राप्त आरोप-पत्र के आधार पर विभागीय स्तर पर आरोप-पत्र पुनर्गठित किया गया. जिसकी सुनवाई के लिए मुंगेर प्रमंडल के आयुक्त को संचालन पदाधिकारी बनाया गया. आयुक्त ने साक्ष्य के अवलोकन सहित सुनवाई के बाद तत्कालीन जिला प्रबंधक पर लगे आरोप को सच माना. जिसके बाद तत्कालीन जिला प्रबंधक अनुज कुमार से क्षति हुये राशि की वसूली सहित निंदन की सजा दी गयी.
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