सुरक्षित प्रसव के लिए सदर अस्पताल में बढ़ी गर्भवती की संख्या
सुरक्षित प्रसव के लिए सदर अस्पताल में बढ़ी गर्भवती की संख्या
जिले में बेतहाशा निजी नर्सिंग होम खुलते जा रहे हैं. खासकर छोटे-बड़े प्रसूति के लिए कई नर्सिंग होम खोले गये हैं, जहां मरीज और उसके परिजनों से मोटी रकम वसूल किये जाते हैं. साथ ही दवाएं भी महंगी लिखी जाती है. खासकर, सरकारी अस्पताल के आसपास कुकरमुत्ते की तरह निजी अस्पताल खुल गए हैं, जिसमें अवैध नर्सिंग होम की भरमार है, लेकिन अब सुरक्षित प्रसव के लिए सदर अस्पताल पर मरीजों का भरोसा बढ़ गया है. अब शहरी क्षेत्र के बड़े घरों के महिलाएं भी सदर अस्पताल में प्रसव के लिए पहुंची रही है. धीरे-धीरे अब लोगों में जागरूकता आ रही है. महिलाएं, निजी नर्सिंग होम की बजाय सरकारी अस्पताल की ओर रुख कर रही है.
प्रसव कक्ष के इंचार्ज उपासना कुमारी ने बताया कि महिलाओं का विश्वास सदर अस्पताल पर बढ़ा है. महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हो रहा है. सदर अस्पताल में प्रसूता के लिए सभी दवाएं व सुविधा उपलब्ध है. अब प्रसूता को बाहर से कुछ भी खरीदना नहीं पड़ता है. बताया कि प्रसव के लिए पांच महिला चिकित्सक हैं. 12 जीएनएम है, जो प्रसव में मदद करती है. बताया कि बीते माह मार्च में 793 प्रसूता, अप्रैल में 612 प्रसूता, मई में 587 प्रसूता व जून में शनिवार तक 236 प्रसूता प्रसव के लिए सदर अस्पताल पहुंचे. एक प्रसूता को छोड़ सभी महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हुआ है.सदर अस्पताल में सुविधा हुई है दुरुस्त, 24 घंटा काम करता है एंबुलेंस
सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष के इंचार्ज उपासना कुमारी ने बताया कि अस्पताल में प्रसव के लिए सारी व्यवस्था है. अगर रक्त की आवश्यकता पड़ती है, तो अल्ट्रासाउंड, दवा, ट्रेंड डॉक्टर और नर्स उपलब्ध है. ऐसे में सरकारी अस्पताल प्रसव के लिए सबसे सुरक्षित माना जा सकते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस की भी व्यवस्था है. इससे महिलाओं को अस्पताल लाने की निःशुल्क व्यवस्था है. इसके अलावे सरकारी एंबुलेंस 102 भी कार्य करती है, जो घर से मरीज को अस्पताल लाती है.
गर्भवती महिलाओं की आशा करती हैं मदद
गर्भवती महिलाओं की मदद ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाली आशा मदद करती है. बताया जाता है कि आशा को क्षेत्र से सभी महिलाओं की जानकारी होती है. वैसी महिला जिसने गर्भधारण किया हो, उसका वे अलग से नाम, पता और मोबाइल नंबर रखती है. जब भी जरूरत होती है, तो महिलाओं की मदद की जाती है. प्रसव के समय उन्हें अस्पताल लाने की भी व्यवस्था करती है. दिन हो या रात आशा तुरंत सदर अस्पताल प्रसव के लिए पहुंच जाती है. आशा ने बताया कि सदर अस्पताल व गांव मोहल्ले में नर्सिंग होम खुल गये हैं, लेकिन अब लोगों का रुझान सरकारी अस्पताल की ओर हो रहा है. इसके कारण अच्छे डॉक्टर, नर्स और दवा की उपलब्धता है. बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के प्रसूता को प्रसव बाद 1400 रूपये की सहायता मिलता है.जबकि शहरी क्षेत्र के प्रसूता को एक हजार रुपये की सहायता दी जाती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है