9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

टेढ़े कंधे की वजह से नहीं झुक सकने वाले पुष्पा का राज की हो रही चर्चा

राजनीतिक पार्टी असफल साबित हुई तब प्याज के मौसेरे भाई लहसुन ने उस आंकड़े को पार करने का साहस दिखाया

साल 2024 का यूं गुजर जाना..व्यंग्यनामा खगड़िया. परिवर्तनशील संसार में समय, साल, सरकार और संबंधी भले ही बदल जाएं. लेकिन अपनी हरकतों और करतूतों के कारण सदैव याद किए जाते हैं. महेशखूंट बाजार निवासी युवा व्यंग्य साहित्यकार विनोद कुमार विक्की को दर्जनों सम्मान से सम्मानित किया गया. साल 2024 का यू गुजर जाना व्यंग्यनामा की खूब चर्चा हो रही है. व्यंग्य साहित्यकार विनोद विक्की व्यंग्यनामा कुछ इसी तर्ज पर कैलेंडर वर्ष 2024 भी जनमानस के मानस पटल पर हमेशा बना रहेगा. साल के प्रथम महीने में अयोध्या में त्रेता कालीन रामलला की भव्य वापसी हुई, जुबां केसरी फेम सिंघम, मंजुलिका और स्त्री तथा अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प का पुनर्आगमन हुआ और तो और अंतिम महीने टेढ़े कंधे की वजह से नहीं झुक सकने वाले पुष्पा का राज (पुष्पा:द रूल) भी आ गया. लेकिन जनता के लिए अच्छे दिन इस साल भी नहीं आ सकें. अजी जनता की छोड़िए, अबकी बार चार सौ पार का उद्घोष करने वाले विश्वसनीय पार्टी की सरकार भी गठबंधन की बैसाखी के सहारे ही संसद में सत्तासीन हो पाई. हालांकि चार सौ के लक्षित जादुई आंकड़े को पार करने में जब राजनीतिक पार्टी असफल साबित हुई तब प्याज के मौसेरे भाई लहसुन ने उस आंकड़े को पार करने का साहस दिखाया. इस उपलब्धि के आलोक में साल 2024 को प्याज, टमाटर की अपेक्षा लहसुन वर्ष के रूप में याद किया जाएगा. नागरिकों के अच्छे दिन का पता नहीं किंतु पॉपकॉर्न पर जीएसटी बढ़ने से भुट्टे के अच्छे दिन जरूर आ गए. प्रांतीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीकेज होने से संबंधित आयोग की पाचन शक्ति एवं डायपर के साथ-साथ छात्रों के भविष्य पर स्वर्णिम हालमार्क की बजाय प्रश्न चिह्न का टैग मार्क नजर आता रहा. एक ओर देश की लाइफलाइन अर्थात भारतीय रेल नामक विकास लड़खड़ाता और आपस में टकराता रहा. जबकि दूसरी ओर बिहार में पुलों के गिरने की प्रतिस्पर्धा एवं तीव्रता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मुद्रा एवं नेताओं के नैतिक पतन की दर को काफी पीछे छोड़ दिया. देखने और दिखाने के मामले में साल 2024 को शोऑफ ईयर के रूप में याद किया जा सकता है. किसान खेतों एवं छात्र शिक्षण संस्थानों में दिखाई पड़ने की बजाय सड़कों पर धरना-प्रदर्शन करते नजर आएं. सांसद आपस में धक्का-मुक्की के रूप में मल्ल युद्ध का पूर्वाभ्यास करते दिख गये. जबकि दिल्ली और झारखंड के मुख्यमंत्री सीएम सेल की बजाय जेल में दिखाई दिए.लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम को सती सावित्री की तरह चरित्रवान मानने वाली पार्टियां विभिन्न प्रदेशों में अपनी हार का ठीकरा ईवीएम की चरित्रहीनता के नाम पर जमकर फोड़ा. हालांकि सालों भर आरोप के घेरे में रहने वाली अबला ईवीएम मशीन इस बात से राहत महसूस कर रही हैं कि आने वाले समय में वन नेशन वन इलेक्शन लागू हो जाने पर बदचलनी का आरोप पांच-पांच वर्षों पर ही लगेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें