सच्चे मन से मन्नतें मांगने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं होती है पूर्ण

नयागांव पंचखुट्टी एवं सिरिया टोला नयागांव में काली पूजा के अवसर पर लगता है तीन दिवसीय मेला

By Prabhat Khabar News Desk | October 25, 2024 11:42 PM

नयागांव पंचखुट्टी एवं सिरिया टोला नयागांव में काली पूजा के अवसर पर लगता है तीन दिवसीय मेला परबत्ता. प्रखंड के दरियापुर भेलवा पंचायत क्षेत्र के नयागांव पंचखुट्टी एवं सीरिया टोला नयागांव में दशकों से काली पूजा को श्रद्धा एवं भक्ति के साथ धूमधाम से ग्रामीण मनाते आ रहें हैं. इन दोनों मंदिरों का अपना एक विशेष महत्व है. शिक्षक गिरधारी नवीन ने बताया कि सीरिया टोला नयागांव में मां काली की पूजा का पुराना इतिहास है. मां की महिमा अपरंपार है. यहां जो भी भक्तजन सच्चे मन से मन्नतें मांगते हैं माता उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज मसूदन पोद्दार, मिश्री पोद्दार, कारू पोद्दार, छंगूरी पोद्दार, भुजंगी पोद्दार, उचित पोद्दार आदि ने लगभग 130 वर्ष पूर्व पूजा प्रारंभ किया था. जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोग पूजन को श्रद्धा व भक्ति के साथ करते आ रहे हैं. पहले यह मंदिर फूस का था. उसके बाद खपरैल एवं आज छत के नीचे मां की आराधना हो रही है. यहां पंडित मंटू मिश्र के देखरेख में पूजा होती है. तीन दिनों तक पूजन पाठ के साथ मेला का आयोजन किया जाता है. साथ ही रात्रि में दो दिनों तक बाल कलाकारों द्वारा नाटक का मंचन किया जाता है. मां की प्रतिमा को दीपावली के दिन अमावस्या की रात्रि पिंडी पर स्थापित किया जाता है. नयागांव पंचखुट्टी का इतिहास ग्रामीणों के मुताबिक नयागांव पंचखुट्टी में भक्तजन 1922 से मां काली की पूजा करते आ रहे हैं. वर्ष 1978 में गंगा में कटाव के कारण 1983 ई में गोगरी नारायणपुर तटबंध पर पूजा प्रारंभ हुआ. पुन: नयागांव पंचखुट्टी में मंदिर निर्माण कर पूजा अर्चना किया जा रहा है. वर्तमान में पंडित मनोज मिश्र द्वारा पूजन किया जा रहा है. मां काली मंदिर नयागांव पंचखुट्टी के सदस्य उप सरपंच ज्योतिन्द्र मंडल, उमेश साह, शिक्षक बाल्मिकी ठाकुर, राम नरेश ठाकुर, विकास कुमार, अजय कुमार, छबीला ठाकुर, प्रभाकर मिश्र, रामचंद्र मिश्र, मुन्ना सिंह आदि ग्रामीणों की देख रेख में यह पूजा होती है. हर वर्ष दीपावली की रात्रि में प्रतिमा स्थापित किया जाता है. कालिका बाल नाट्य कला परिषद द्वारा हर साल एक धार्मिक एवं ऐतिहासिक नाटक का मंचन भी किया जाता है. मां के दरबार में दूर दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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