जब-जब अत्याचार, दुराचार बढ़ा तो प्रभु का हुआ अवतार : स्वामी आगमानंद जी महाराज
कृष्ण जन्मोत्सव की अनुपम झांकी चित्रण देखकर श्रोता गद गद हो उठे
सन्हौली राम जानकी ठाकुरबाड़ी में चल रहा सात दिवसीय महाविष्णु यज्ञ खगड़िया. सन्हौली के श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्री महाविष्णु यज्ञ सह श्रीमद् भागवत कथा के दौरान रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद महाराज ने कहा कि जब जब अत्याचार, दुराचार बढ़ा तो प्रभु का अवतार हुआ है. यज्ञ के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया गया. कथा व्यास स्वामी जी ने भगवान श्री कृष्ण अवतार पर चर्चा करते हुए कहा कि गज जीव हैं. ग्राह माया हैं. माया से जीव को परमात्मा कृष्ण ही छुड़ाते हैं. जीवन के समुद्र का मंथन देव दानव दो प्रवृत्ति मिलकर करते तो विष अमृत आदि 14 रत्न निकलते हैं. मुसीबत में केवल इंसान को भगवान ही साथ देते हैं. प्राणी मोहमाया और परिवार में माया जाल में फसकर प्रभु को भूल जाता. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं. उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे. जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है. प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है. संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ्य को अपनाने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए. इसी से जीवन का कल्याण संभव है. कृष्ण जन्मोत्सव की अनुपम झांकी चित्रण देखकर श्रोता देखकर गद गद हो उठें.
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