सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले बच्चों के बीच खान सर अपने अनोखे अंदाज से पढ़ाने के लिए काफी लोकप्रिय हैं. मगर अब खान सर बिहार में लोगों के लिए संकट बने फाइलेरिया के रोकथाम के लिए भी लोगों को जागरुक करेंगे. बताया जा रहा है कि फाइलेरिया की रोकथाम के लिए अब खान जीएस रिसर्च सेंटर लोगाें को जागरूक करेगा. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्थाओं ने खान सर से मुलाकात की, जिसमें उनसे फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 10 फरवरी से शुरू होने वाले एमडीए-फाइलेरिया पर लोगों को जागरूक करने की अपील की.
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खान सर ने कहा कि वह फाइलेरिया उन्मूलन में सहयोग करेंगे. फाइलेरिया रोग पर अपने विचार रखते हुए कहा कि समाज में फाइलेरिया मरीज उपेक्षा के शिकार होते हैं. हाथीपांव के कारण हुई शारीरिक विकृति उनकी पहचान बन जाती है. विशेषकर ग्रामीण परिवेश में उन्हें कई स्तर पर उपेक्षित होना पड़ता है. बताया कि यह सत्य है कि एक स्वस्थ व्यक्ति ही शिक्षा का सदुपयोग कर सफलता के पथ पर निरंतर आगे बढ़ सकता है. वह अपने वीडियो एवं क्लासेज द्वारा फाइलेरिया एवं एमडीए-फाइलेरिया पर युवाओं के साथ उन्हें सुनने वाले सभी लोगों को जागरूक करेंगे. उन्होंने फाइलेरिया जैसे गंभीर रोगों पर समुदाय को जागरूक करना सामाजिक एवं नैतिक जिम्मेदारी भी बताया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टेट एनटीडी को-ऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि नेग्लेटेड ट्रॉपिकल डिजीज की शृंखला में कुल 20 रोगों को शामिल किया गया है. फाइलेरिया भी लंबे समय से नेग्लेटेड यानी उपेक्षित रोगों की सूची में शामिल है. उन्होंने फाइलेरिया के लक्षण, कारण, रोकथाम एवं उपचार पर विस्तार से खान सर को जानकारी दी. बताया कि हाथीपांव फाइलेरिया का सबसे विकराल स्वरूप है, जिससे एक सामान्य व्यक्ति कई किलोग्राम के अतिरिक्त वजन अपने पैरों में लेकर जीने पर विवश हो जाते हैं. इसकी रोकथाम आसान है. 10 फरवरी से शुरू होने वाले एमडीए राउंड के विषय में युवाओं, विद्यार्थियों एवं आम लोगों को जागरूक किया जायेगा.