Chhath puja: छठ महापर्व पर खरना का होता है खास महत्व, जानिए कौन हैं छठी मैया और क्या है व्रत की कहानी

कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि को खरना होता है. इस दिन छठी मैया और सूर्य देव के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है. व्रती मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और रोटियां तैयार करती हैं. तैयार किये गए व्यंजनों का भोग पहले भगवान को चढ़ाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2022 3:18 PM

Chhath 2022 : छठ महापर्व पर नहाय-खाय और खरना का होता है खास महत्व I Prabhat Khabar | Chhath Song

आराधना का दिन..मन्नतें मांगने का दिन…और भगवान की दी नेमतों के शुक्रिया करने का दिन य़ानी छठ का पर्व…सूर्य की उपासना और माता षष्ठी की भक्ति करने का यह इकलौता ऐसा पर्व है…जिसमें न केवल उगते सूर्य बल्कि डूबते सूर्य की भी आराधना की जाती है.लोक आस्था के इस महा पर्व पर शुद्धता और स्वच्छता का खास ख्याल रखा जाता है…घाटों की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाए जाते हैं. कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी पर नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू होता है. इस दिन सुहागीन महिलाएं माथे पर सिंदूर लगाती है. मान्यता है कि इस दिन विशेष रूप से सिंदूर लगाने से उनका सौभाग्य बढ़ जाता है. गंगा स्नान के बाद व्रती महिलाएं बिना लहसुन-प्याज का कद्दू की सब्जी चना का दाल और अरवा चावल पकाती है. इस दिन को कद्दू भात भी कहा जाता है. इसके अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि को खरना होता है…..इस दिन छठी मैया और सूर्य देव के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है. व्रती मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और रोटियां तैयार करती हैं. तैयार किये गए व्यंजनों का भोग पहले भगवान को चढ़ाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.

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