प्रधानमंत्री के मन की बात का बिहार किसान संयुक्त संघर्ष मोर्चा की ओर से पटना में ताली-थाली पीटकर विरोध किया गया. कारगिल चौक पर आधे घंटे तक ताली-थाली पीटा गया. मौके पर बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद ने कहा कि सरकार का कृषि बिल पूर्ण रूप से किसानों की जमीन पूंजीपतियों के हाथ में सौंपने वाला बिल है. इस बिल के आने से किसानों की स्थिति ठीक वैसे ही हो जायेगी जैसे इस्ट इंडिया कंपनी के समय देश के किसानों की थी.
मोर्चा के नेता व पूर्व नगर पार्षद प्रदीप मेहता ने कहा कि किसान इस ठंड के मौसम में अपने हित की रक्षा के लिए दिल्ली के सीमा पर डटे हुए हैं. शहीद भी हो रहे हैं. दूसरे तरफ प्रधानमंत्री जबरन लोग को मन की बात सुना कर जनता को दिग्भ्रमित करना चाहते हैं. इधर, अखिल भारतीय किसान महासभा के नेताओं-कार्यकर्ताओं और आम किसानों ने थाली बजाकर अपना विरोध दर्ज किया. राजधानी पटना सहित राज्य के ग्रामीण इलाकों में यह कार्यक्रम व्यापक पैमाने पर लागू हुआ.
किसान नेता रामाधार सिंह ने कहा कि विगत एक महीने से अपनी जायज मांगों को लेकर दिल्ली में किसान आंदोलनरत हैं, लेकिन मोदी सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी को किसानों की बात सुननी चाहिए लेकिन वे अपनी धुन में ही ‘मन की बात’ के नाम पर लगातार बकवास किए जा रहे हैं. कहा कि भाजपा सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं है.
कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, बिजली बिल 2020 वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की गारंटी करने आदि सवालों पर 29 दिसंबर को आयोजित राजभवन मार्च में भी किसानों के आक्रोश का इजहार होगा.
बिहार से पूरे देश को उम्मीदें हैं और 29 दिसंबर के राजभवन मार्च से भाजपा के इस झूठ का पूरी तरह पर्दाफाश हो जाएगा कि बिहार के किसानों में इन तीन काले कानूनों में किसी भी प्रकार का गुस्सा है ही नहीं. कहा कि राजभवन मार्च में पूरे बिहार से दसियों हजार किसानों की गोलबंदी होगी.
Posted By; Utpal kant