जहानाबाद. दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की हृदयचक शाखा में वित्तीय वर्ष 2015-17 में भूमिहीन किसानों को कृषि कार्य के लिए ऋण देने के नाम पर फर्जी खाते खोलकर लगभग 70 लाख रुपये की निकासी कर ली गयी. मामला सामने आने के बाद वर्तमान शाखा प्रबंधक ने कलेर थाने में आवेदन देकर तत्कालीन शाखा प्रबंधक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है.
वित्तीय वर्ष 2015-17 का मामला
इस संबंध में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की हृदयचक शाखा प्रबंधक आदित्यदेव सिंह ने बताया कि दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की हृदयचक शाखा में वित्तीय वर्ष 2015-17 में नालंदा जिले के बियावनी के रहनेवाले तत्कालीन शाखा प्रबंधक रामअवतार प्रसाद ने फर्जी तरीके से 279 खाते खोल दिये. इन खातों में किसान क्रेडिट कार्ड के तहत लगभग 70 लाख का ऋण दिया गया. ऋण वसूली अभियान के दौरान ये खाते फर्जी पाये गये हैं.
ऋण वसूली अभियान के तहत सामने आया मामला
उन्होंने बताया कि जब वह ऋण वसूली अभियान चला रहे थे, तो इनमें से किसी भी खाताधारक के नाम और आवासीय पता का सत्यापन नहीं हो पाया. सभी खाते फर्जी वोटर आइडी कार्ड के आधार पर खोले गये हैं. ऋणधारकों के वोटर कार्ड, पहचान पत्र समेत कई दस्तावेजों की जांच की गयी, तो वे सभी फर्जी पाये गये.
धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया
इस संबंध में पूर्व शाखा प्रबंधक रामअवतार प्रसाद पर कलेर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है. इस संबंध में थानाध्यक्ष फूलचंद यादव ने बताया कि दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक शाखा हृदयचक के शाखा प्रबंधक के द्वारा दिये आवेदन के बाद प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है.
प्रथम तिमाही में 3.38 लाख केसीसी धारक को ही दिया गया लोन
बिहार स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के प्रथम तिमाही में केसीसी धारक 3.38 लाख लाभुकों को ही ऋण उपलब्ध कराया गया है, जबकि इस अवधि में 6.15 लाख केसीसी धारकों को ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित था. इसमें से 49385 नये केसीसी धारक और 2.88 लाख पुराने केसीसी धारकों को ऋण दिया गया. कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने केसीसी के मुद्दे को एलएलबीसी की बैठक में उठाया था.
4029 करोड़ रुपये के दिये गये हैं लोन
एसएलबीसी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023-24 के प्रथम तिमाही में जून, 2023 तक कुल 4029 करोड़ रुपये के ऋण दिये गये हैं. इनमें अधिकतर ऋण खेती-किसानी को लेकर दिये गये हैं, जबकि फिशरीज, डेयरी व अन्य संबंद्ध क्षेत्रों में ऋण सुविधा केसीसी के माध्यम से बहुत ही कम दी गयी है.इसको लेकर पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने सरकार और बैंक के आलाधिकारियों को पत्र लिखा है.