किशनगंज. बिहार से होने वाली मवेशी तस्करी का गोरखधंधा रूकने का नाम नहीं ले रहा है. किशनगंज में मवेशी तस्करी के एनएच 27 (किशनगंज होते हुए पांजीपाड़ा, इस्लामपुर, सिलीगुड़ी, असोम)और एनएच 327ई (अररिया, जोकीहाट, बहादुरगंज-ठाकुरगंज, सिलीगुड़ी, असोम) गोल्डन रूट हैं. इन राष्ट्रीय राजमार्गों पर मवेशी तस्करों को कोई भी टोका-टाकी नहीं करता है. ट्रकों पर ले जाते मवेशी पकड़ी जाती है तो पुलिस भी मामूली कार्रवाई कर पल्ला झाड़ लेती है.
सूत्रों की माने तो आधी रात के बाद मवेशी से भरा ट्रक किशनगंज शहर के बीचों-बीच और बहादुरगंज-पौआखाली, ठाकुरगंज, कुर्लीकोट, गलगलिया थाना क्षेत्र होते बंगाल घुसते हैं. यहां मवेशी तस्करों को पुलिस के साथ झिक-झिक नहीं करनी पड़ती है. क्योंकि पहले से ही पुलिस को सब कुछ पता होता है. ट्रक पहचानते ही पुलिस के कदम खुद-ब-खुद रूक जाते हैं. सूत्रों की माने तो मवेशी तस्करों का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि हर चौक पर उनका आदमी तैनात रहता है. कई बार पकड़े जाने के डर से तस्कर मुख्य मार्ग के बजाय कच्चे मार्गों व लूप मार्गों से चलते है. इन रास्तों पर पुलिस भी दूर-दूर तक नजर नहीं आती. यदि एक दो स्थान पर पुलिस मिल भी जाती है तो तस्कर चकमा देकर ट्रक भगा ले जाते है.
खगड़िया, बनमनखी, मनसाही, मधेपुरा, सहरसा, कटिहार के खैरिया व मनसाही सहित आदि मवेशी हाटों से पशुओं की खरीद कर उसकी तस्करी की जा रही है. पशु तस्करों का एक बड़ा गिरोह कोसी के विभिन्न जिलों में सक्रिय है जो कि पूरे कोसी क्षेत्र में लगने वाले मवेशी हाटों से पशुओं की खरीददारी कर उसे तस्करी के जरिये पिम बंगाल भेज दिया जाता है. पश्चिम बंगाल से आसानी से बंगालदेश भेज दिया जाता है. यहां तक अब तस्कर छोटे-छोटे बच्चों व महिलाओं से भी पशुओं को पड़ोसी देश पहुंचाने का काम कर रहे है.
पूर्णियां-किशगनंज मार्ग के बीच बायसी, डंगराहा, दालकोला के रास्ते किशनगंज होते पांजीपाड़ा पहुंच जाते हैं. वहीं दूसरी ओर एनएच 27 ई अररिया-गलगलिया मार्ग के बीच बैरगाछी, जोकीहाट, कोचाधामन, बहादुरगंज, पौआखाली, ठाकुरगंज, गलगलिया होते हुए सिलीगुड़ी पहुंच जाते है. उक्त स्थान मवेशी तस्करों का डंपिंग जोन भी है जहां मवेशी का स्टॉक करता है. इसके अलावे मवेशी से भरा ट्रक बायसी, अनगढ़ हाट, भवानीपुर, डाकूपाड़ा, मस्तान चौक होते हुए डे मार्केट पौआखाली पहुंच जाते है.