किशनगंज : सीमांचल सहित राज्य के 17 जिलों में बाढ़ का कहर बरपाने के बाद सरकार ने सभी जिलों में राहत सामग्री पीड़ित परिवारों को वितरण करने की पहल की है. इससे लोगों को सुकून भी मिल रहा है. लेकिन ये राहत सामग्री लोगों के लिये पर्याप्त नही है. किशनगंज सहित सीमांचल में आई त्रासदी […]
किशनगंज : सीमांचल सहित राज्य के 17 जिलों में बाढ़ का कहर बरपाने के बाद सरकार ने सभी जिलों में राहत सामग्री पीड़ित परिवारों को वितरण करने की पहल की है. इससे लोगों को सुकून भी मिल रहा है. लेकिन ये राहत सामग्री लोगों के लिये पर्याप्त नही है. किशनगंज सहित सीमांचल में आई त्रासदी में लोगों को दो वक्त का खाना और रहना विकट समस्या बनी हुई है.
बुधवार को चकला पंचायत के भेड़ियाडांगी स्थित मिलिया इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में राहत सामाग्री मिलने की खबर से उत्साहित बाढ़ पीड़ित परिवार राहत वितरण कैंप पहुंचने और राहत सामग्री की पोटली देख उत्साह पर चिंता की बदली छाने लगी. इस कैंप में राहत सामग्री लिए एक महिला गोद में बच्चा लिए और एक हाथ मे राशन से भरा झोला लिए मिली. जब उसने आपबीती सुनाते हुए बतायी कि क्या करें, बाढ़ में सबकुछ चला गया. पति प्रदेश में रहते है. मिलने वाली राशन दो दिन चलेगी, फिर उसके बाद सौचेंगे. दो से चार वक्त के भोजन के बाद फिर राशन का टेंशन बरकरार रहेगा. बाढ़ के कारण सैकड़ों मजदूर परिवार के लोगों को रोजगार का संकट गहरा रहा है.
बोरा झोला रह गया खाली. बाढ़ राहत वितरण कैंप में राशन मिलने की सूचना के बाद बाढ़ पीड़ित परिवारों के लोगों ने प्लास्टिक का बोरा और झोला लेकर राहत कैंप पहुंचे. लोगो को लगा कि 15 दिन का राशन पानी मिलेगा. क्योंकि सूबे के मुखिया आने वाले है, लेकिन जो राशन पैकेट मिला वह दो दिन से ज्यादा नही चलेगा. लोगो का बोरा और झोला खाली रह गया. लोगों ने 30 दिन का राशन देने की बात कही.
गरीबी में आटा गीला. किशनगंज जिले बने हुए 38 वर्ष हो गए. जिले के इतिहास में यह सबसे बड़ी त्रासदी ने सैकड़ों परिवारों को दाने दाने के लिये मोहताज कर दिया. इसके शिकार बने ये लोग क्या करें, जो मिले इसी में गुजारा करना इनकी नियति बन गया है. प्रभावित और बेघर हुए लोग अभी दो दिन पहले तक राहत कैंप में खाना खाया करते थे जो अब बंद हो गया. कुछेक जगहों पर सामुदायिक किचन जरूर चल रहा है, लेकिन इसके बंद होते ही इन प्रभावित परिवारों पर राशन का टेंशन सताने लगा है.