किशनगंज : प्रलयंकारी बाढ़ से हुए तबाही का मंजर चहुंओर दिख रहा है. बाढ़ से पहले लहलहाते धान के खेत में अब रेत (बालू) है. जिले में महानंदा, कनकई, डोक आदि नदियों से सटे करीब 6200 एकड़ से अधिक धान के खेत बालू से पट गये है. बाढ़ के बाद किसान बेहाल व परेशान दिख रहे है. जिले में बाढ़ से चार करोड़ 25 लाख से अधिक कृषि से जुड़े फसलों के क्षति का अनुमान लगाया गया है.
जिले में 84 हजार 2 सौ 83 हेक्टेयर में धान की खेती की गयी है. वास्तविक क्षति के आंकलन के लिए कृषि विभाग जिले के सभी 126 पंचायतों में सर्वेक्षण करा रही है. किशनगंज जिले में सबसे अधिक धान की खेती पर असर पड़ा है. जिले के प्रसिद्ध फसलों में अदरक, हल्दी ,अनानास की खेती को व्यापक नुकसान हुआ है.
किसान इस त्रासदी को आजीवन भूल नहीं पायेंगे. 12 अगस्त के बाढ़ में 3005 हेक्टेयर धान, 35 हेक्टेयर में अदरक,111 हेक्टेयर में केला, 05 हेक्टेयर में हल्दी एवं 20 हेक्टेयर में लगे सब्जी की खेती को व्यापक नुकसान होने का अनुमान विभागीय अधिकारियों ने लगाया है. हालांकि एक सप्ताह के बाद क्षति आंकलन स्पष्ट हो जायेगा. बाढ़ से धान के खेती 33 प्रतिशत से अधिक के नुकसान पर प्रति हेक्टेयर 13500 एवं उद्यानिक फसलों पर प्रति हेक्टेयर 18000 की राशि किसानों को आरटीजीएस के माध्यम से दिया जायेगा. इसके अलावे जो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े हुए है.
ऐसे किसानों को धान की खेती पर प्रति हेक्टेयर 43500 की राशि दी जायेगी. इन किसानों को बाढ़ राहत की मुआवजे की राशि नहीं मिलेगी. फसल क्षति को लेकर जिले के सभी पंचायतों में सर्वे कार्य जारी है. फसल क्षति सर्वे के लिये पहली बार एप्प का प्रयोग किया जा रहा है. फसल क्षतिग्रस्त खेत का जीपीएस सिस्टम से लैस जीरो टेकिंग फोटोग्राफी की जायेगी. धान क्षति का सर्वेक्षण कार्य जारी है. सर्वेक्षण कार्य में बीएओ, कृषि समन्वयक, पंचायत किसान सलाहकार को लगाया गया है.
कहते हैं कृिष पदाधिकारी
जिले में बाढ़ से 4 करोड़ 25 लाख 93 हजार के क्षति का अनुमान लगाया गया है. वास्तविक क्षति का सर्वे कार्य युद्ध स्तर पर जारी है. जीरो टेकिंग फोटोग्राफी के जरिये फसल क्षति का सर्वे किया जा रहा है. एक सप्ताह में फसल क्षति का सर्वेक्षण के बाद मुआवजे की राशि आरटीजीएस के माध्यम से किसानों की दी जायेगी.
डीएओ, संत लाल साह, किशनगंज