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सिगरेट के छल्लों में धुआं हुआ ”कोटपा”

किशनगंज : प्रदेश में सिगरेट एवं तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 (कोटपा) सिस्टम की सुस्ती के चलते हवा में है. आलम यह है कि स्कूलों की 50 गज की परिधि में सिगरेट व तंबाकू उत्पादों की न सिर्फ खुलेआम बिक्री हो रही है, बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर भी धड़ल्ले से धुएं के छल्ले उड़ाये जा रहे […]

किशनगंज : प्रदेश में सिगरेट एवं तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 (कोटपा) सिस्टम की सुस्ती के चलते हवा में है. आलम यह है कि स्कूलों की 50 गज की परिधि में सिगरेट व तंबाकू उत्पादों की न सिर्फ खुलेआम बिक्री हो रही है, बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर भी धड़ल्ले से धुएं के छल्ले उड़ाये जा रहे हैं. बावजूद इसके क्षेत्र में तंबाकू उत्पादों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. कानून भले ही तमाम हों, लेकिन जब सिस्टम ही नींद में है तो कानून का फाइलों में सिमट जाना स्वाभाविक है.

वर्ष 2003 से प्रदेश में भी कोटपा कानून लागू है. हालात यह है कि क्षेत्र में कोटपा के तहत बनाये गये प्रावधानों की खुल कर धज्जियां उड़ायी जा रही हैं. क्षेत्र में कोटपा कानूनों की किस तरह ताक पर रखा गया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष जब टोबैको टास्क फोर्स ने छापेमारी की तो इक्का-दुक्का स्थानों को छोड़ कहीं भी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध के बोर्ड नहीं लगे हुए थे और यही स्थिति आज भी जारी है.
क्या है कोटपा अधिनियम : सिगरेट एवं तंबाकू के उत्पाद, विज्ञापन, पतिषेध, व्यापार और वितरण का विनियमन अधिनियम को कोटपा कहा गया है़क कोटपा अधिनियम के अनुसार किसी भी शिक्षण संस्थान के 100 गज के दारे में किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध है़ कोई भी तंबाकू उत्पाद विक्रेता 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे को तंबाकू उत्पाद नहीं बेच सकता है़ सभी सार्वजनिक स्थलों यथा बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, पुलिस स्टेशन, मॉल, सरकारी गैर सरकारी शिक्षण संस्थान, सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट आदि जगहों पर धुम्रपान प्रतिबंधित है़ इसके अलावे तंबाकू उत्पाद बेचने वालों को तंबाकू से होने वाले नुकसान के संबंध में अपने प्रतिष्ठान पर होर्डिंग बैनर या पोस्टर लगाना अनिवार्य है़
कोटपा अधिनियम को जिले में प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग बिहार 2 सरकार 2 अप्रैल 2012 से ही अधिध्सूचना संख्या 336 के तहत जिला तंबाकू नियंत्रण समन्वय समिति का गठन किये हुए है़ लेकिन यह समिति सिर्फ कागजों पर ही चल रहा है़ तंबाकू नियंत्रण के लिए समय समय पर बैठक तो की जाती है लेकिन बैठक में लिये गये फैसले को अमलीजामा नहीं पहनाया जाता है़ जिला तंबाकू नियंत्रण समिति में अध्यक्ष जिला पदाधिकारी के अलावे सदस्यों में एसपी, डीडीसी, सीएस, विशेष नोडल पदाधिकारी, डीईओ, डीपीआरओ, डीटीओ, पंचायजी राज पदाधिकारी, स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम प्रबंधक, औषधी नियंत्रक, रेड क्रॉस के सचिव सभी महाविद्यालयों एवं इंटर स्तरीय उच्च विद्यालय के प्राचार्य के अलावे स्वयं सेवी संस्था सीड्स इसके सदस्य है़ जिला तंबाकू नियंत्रण समन्वय समिति के द्वारा जिला स्तर, अनुमंडल स्तर एवं प्रखंड स्तर पर छापामार दस्ता का गठन किया गया है़
गठित छापामार दस्ता को सार्वजनिक स्थलों, सरकारी गैर सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों एवं तंबाकू उत्पाद तथा बिक्री स्थलों की मॉनिटरिंग कर उल्लंघन कर्ता पर नियमानुसार जुर्माना एवं अन्य कार्रवाई करना है़ लेकिन सभी छापामार दस्ता शिथिल बने हुए है़ प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार राज्य स्वास्थ्य समिति के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी तंबाकू नियंत्रण द्वारा वर्ष 2013-14 में चलान एवं स्पॉट फाइन के लिए जिला स्वास्थ्य समिति को 100 बुकलेट दिये गये थे. जिसमें से वित्तीय वर्ष 2013-14 में 20, वर्ष 2014-15 में शून्य, वर्ष 2015-16 में 5 एवं वर्ष 2016-17 में 4 बुकलेट ही खपत हुए है़ं अर्थात वर्षों में मात्र 29 बुकलेट ही खपत हो पये है़ शेष 71 अब भी बचे हुए है़ इसी से छापामार दस्ते के बासरे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है़

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