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7 वर्षीया बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपित को 15 वर्ष का कठोर कारावास

किशनगंज : बिहारके किशनगंज में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम सह विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012) सत्येंद्र पांडेय के न्यायालय ने अभियुक्त लाल बाबू उर्फ छोटू यादव, डुमरिया भट्ठा, किशनगंज को बलात्कार के मामले में भादवि की धारा 376(2)(झ) और लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012(पोस्को) की […]

किशनगंज : बिहारके किशनगंज में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम सह विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012) सत्येंद्र पांडेय के न्यायालय ने अभियुक्त लाल बाबू उर्फ छोटू यादव, डुमरिया भट्ठा, किशनगंज को बलात्कार के मामले में भादवि की धारा 376(2)(झ) और लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012(पोस्को) की धारा 6 के अंतर्गत दोषी पाये जाने के पश्चात 15 वर्ष के कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी है. जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास काटना होगा.

ध्यातव्य है कि 27 नवंबर 2013 को 1.30 बजे दिन जब सूचिका की 7 वर्षीय पुत्री सुधीर बाबू के बागीचे में खेल रही थी़ उसी समय अभियुक्त लाल बाबू उसे बहला फुसला कर एक टूटे हुए घर में ले गया और उसके साथ बलात्कार करने लगा़ चिल्लाने पर अभियुक्त उसका मुंह बंद कर दिया़ एक बच्चा हल्ला करते हुए सूचिका के पास आया तो वह दौड़ कर गयी, देखी कि उसकी बेटी नग्न थी और लाल बाबू पेट्रोल पंप की तरफ भाग गया़ जिसे भोलू की दुकान के समीप पकड़ा गया़

सूचिका के आवेदन के आधार पर इस मामले की औपचारिक प्राथमिकी किशनगंज महिला थाना कांड संख्या 51/13 दिनांक 27.11.13 अंतर्गत धारा 376 भादवि दर्ज कर कांड का अनुसंधान किया गया तथा कांड सत्य पाकर अनुसंधान द्वारा एकमात्र अभियुक्त लाल बाबू उर्फ छोटू यादव के विरुद्ध आरोप पत्र समर्पित किया गया़ इस मामले में विचारित काराधीन अभियुक्त लाल बाबू के विरुद्ध भादवि की धारा 376 एवं 4, 6, 8 लैंगिग अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत आरोप गठित किया गया.

दोषसिद्ध अभियुक्त लाल बाबू अवयस्क बच्ची के साथ प्रावेसिंग लैंगिग करने का दोषी पाया गया़ लैंगिग अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 42 में प्राविधान है कि उक्त अधिनियम एवं भादवि की धारा 376 की स्थिति में दोनों ही आरोपों के अंतर्गत दोष सिद्ध व्यक्ति गुरूतर कोई एक दंड निहित किया जायेगा़ दोष सिद्ध अभियुक्त द्वारा किया गया कृत अत्यंत घृणित एवं पाशविकता का घोतक है़ पोस्को की धारा 6 के तहत अभियुक्त को वर्णित अपराध के लिए 15 वर्ष के कठोर कारावास एवं 20 हजार आर्थिक दंड की सजा सुनायी गयी. दंड की राशि जमा नहीं करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी़

दोषसिद्ध अभियुक्त द्वारा किये गये कृत्य के परिणाम स्वरूप पीड़िता को कारित शारीरिक क्षति, मानसिक आघात एवं अपहानि के लिए बालक के लिए अनुतोष एवं पुनर्वास हेतु लैंगिग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 33(8)एवं नियम 7 के अंतर्गत प्रतिकार के रूप में एक लाख रूपया भुगतान करने एवं इसके अतिरिक्त दप्रस की 357(ए) के अंतर्गत प्रतिकार के भुगतान हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकार को निवेदित किया गया है़ लोक अभियोजक सत्यनारायण प्रसाद एवं अपर लोक अभियोजक सुरेन प्रसाद साहा ने जोरदार बहस की.

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