नये समीकरण बिगाड़ सकते हैं वोटों की गोलबंदी का खेल, किशनगंज में सात बार जीत चुकी है कांग्रेस

रामबाबू किशगनंज : किशनगंज सीट इस बार किसी भी उम्मीदवार के लिए आसान नहीं है. पिछली बार के समीकरण इस बार बदल गये हैं. पहले पार्टी और बाद में चेहरे के आसपास गोलबंद होने वाले मतदाता इस बार तीन धड़े में बंटते दिख रहे हैं. जानकारों की मानें तो जदयू, कांग्रेस और एआइएमआइएम के बीच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2019 7:11 AM
रामबाबू
किशगनंज : किशनगंज सीट इस बार किसी भी उम्मीदवार के लिए आसान नहीं है. पिछली बार के समीकरण इस बार बदल गये हैं. पहले पार्टी और बाद में चेहरे के आसपास गोलबंद होने वाले मतदाता इस बार तीन धड़े में बंटते दिख रहे हैं.
जानकारों की मानें तो जदयू, कांग्रेस और एआइएमआइएम के बीच मुकाबला होते दिख रहा है, लेकिन कुछ अन्य दल व जातीय समीकरण इस चुनावी खेल को बिगाड़ सकते हैं. पिछले चुनाव में दिवंगत सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी यहां से चुने गये थे.
उनके निधन के बाद इस बार किशनगंज सदर विधायक डॉ मो जावेद कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. इस बार उनका मुकाबला जदयू के टिकट पर सैयद महमूद अशरफ और पिछले चुनाव में जदयू से चुनावी मैदान में उतरे अख्तरुल इमान से है. अख्तरुल इमान ने पिछली बार खुद को चुनाव से अलग कर लिया था. इस बार एआइएमआइएम के चुनाव चिह्न के साथ मैदान में हैं. सैयद महमूद अशरफ 2009 के चुनाव में भी जदयू के टिकट से चुनाव मैदान में उतरे थे.
उस समय तस्लीमुद्दीन भी राजद के टिकट पर यहां मैदान में थे, लेकिन जीत का सेहरा कांग्रेस के मौलाना असरारुल हक कासमी के सिर पर बंधा. उन्होंने यहां से कई बार भाग्य आजमाया लेकिन 2009 में जीत मिली. 2014 में राजद-कांग्रेस गठबंधन में किशनगंज सीट कांग्रेस को दिये जाने के बाद अपने गृह जिले अररिया से (स्व.) मो तस्लीमुद्दीन ने चुनाव लड़ा और जीते.
सीट पर एक नजर
1957 में मो ताहिर (कांग्रेस) – 1962 में मो ताहिर (कांग्रेस) – 1967 में लखन लाल कपूर (पीएसपी) – 1971 में जमिलुर रहमान (कांग्रेस) – 1977 में हलीमुद्दीन अहमद (लोकदल) – 1980 में जमिलूर रहमान (कांग्रेस) – 1985 में सैयद शाहबुद्दीन (जनता दल) – 1989 में एमजे अकबर (कांग्रेस) – 1991 में सैयद शाहबुद्दीन (जनता दल) – 1996 में मो तस्लीमुद्दीन (जनता दल) – 1998 में मो तस्लीमुद्दीन (राजद) – 1999 में सैयद शाहनवाज हुसैन (भाजपा) – 2004 में मो तस्लीमुद्दीन (राजद) – 2009 में मौलाना असरारुल हक कासमी (कांग्रेस) – 2014 में मौलाना असरारुल हक कासमी (कांग्रेस)
छह विस सीटें आती हैं
किशनगंज लोकसभा सीट में छह विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें ठाकुरगंज,बहादुरगंज,कोचाधामन,किशनगंज,अमौरऔर बायसी शामिल हैं. किशनगंज में 69 प्रतिशत मुस्लिम और 30 प्रतिशत हिंदू जबकि एक प्रतिशत में अन्य धर्म के लोगों की आबादी है. किशनगंज सीट पर 1957 से लेकर अब तक सात बार कांग्रेस, एक बार भाजपा, दो बार जनता दल, दो बार राजद सहित अन्य का कब्जा रहा है.

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