खटारा वाहन जिले में फैला रहे हैं वायु प्रदूषण, नहीं होती है जांच

किशनगंज : जिसके जिम्मे वाहनों के प्रदूषण की जांच की जिम्मेदारी हो और वही अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ ले, तो किसी अन्य से क्या उम्मीद की जाए. प्रदूषण जांच के लिए लगायी गयी मशीनें सीमित इलाकों तक ही सिमटी हुई है और जिले में विभागीय स्तर पर प्रदूषण जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 1, 2019 7:17 AM

किशनगंज : जिसके जिम्मे वाहनों के प्रदूषण की जांच की जिम्मेदारी हो और वही अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ ले, तो किसी अन्य से क्या उम्मीद की जाए. प्रदूषण जांच के लिए लगायी गयी मशीनें सीमित इलाकों तक ही सिमटी हुई है और जिले में विभागीय स्तर पर प्रदूषण जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है.

जांच की व्यवस्था फेल हो जाने से जिले में वाहन मालिकों की चांदी कट रही है.
सड़क पर खटारा वाहन वातावरण में जहर फैला रहे हैं. शहर के वातावरण को प्रदूषित करने में वाहनों की भूमिका काफी अहम है. वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं लोगों को बीमार कर रहा है.
इन वाहनों से शहर कितना प्रदूषित हो रहा है, इसका फिक्र प्रदूषण विभाग से लेकर परिवहन विभाग तक को नहीं के बराबर है. केवल कागजी कार्रवाई करके लोगों को सचेत करने की जिम्मेदारी निभा रहे परिवहन विभाग भी अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह से मुंह मोड़ चुका है.
नतीजतन शहर में दमा, चर्मरोग और खांसी के मरीजों की संख्या में भी दिनों दिन इजाफा होता जा रहा है. ऐसा तब है जबकि मोटर व्हैकिल एक्ट की धारा 115(2) के अनुसार हर छह महीने पर प्रदूषण जांच कराना अनिवार्य है. वाहनों के प्रदूषण जांच नहीं कराने पर एक हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान भी एक्ट में किया गया है.बावजूद इसके जांच की पूरी व्यवस्था ही यहां लचर दिखती है.
प्रत्येक वाहन के लिए अलग शुल्क है निर्धारित
विभागीय स्तर पर वाहनों के प्रदूषण जांच के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित है. सबसे कम शुल्क दोपहिया वाहनों की जांच के लिए निर्धारित किया गया है. इसी प्रकार तीन पहिया, चारपहिया तथा मध्यम मोटर यान तथा भारी मोटर यान के लिए भी शुल्क निर्धारित लेकिन जांच की प्रक्रिया नगण्य है.

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