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धरातल पर नहीं दिख रही योजनाएं कच्ची सड़क ही लिखा है भाग्य में

दिघलबैंक : एक ओर शासन प्रशासन द्वारा गांवों का तेजी से विकास कराने के दावे किये जा रहे हैं. गांव की स्थिति को सुधारने के लिये बिहार सरकार द्वारा सात निश्चय योजना भी चला रही हैं. ताकि गांवों में नाली एवं पक्की सड़क का निर्माण हो सके. मगर इन योजनाओं के बावजूद भी गावों की […]

दिघलबैंक : एक ओर शासन प्रशासन द्वारा गांवों का तेजी से विकास कराने के दावे किये जा रहे हैं. गांव की स्थिति को सुधारने के लिये बिहार सरकार द्वारा सात निश्चय योजना भी चला रही हैं. ताकि गांवों में नाली एवं पक्की सड़क का निर्माण हो सके. मगर इन योजनाओं के बावजूद भी गावों की सूरत नहीं बदली. आज के समय में भी प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों ऐसे गांव है जहां के लोग आज भी एक पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं.

बरसात का मौसम आते ही इन गांवों में पहुंचने के लिए कीचड़ से होकर गुजरना ग्रामीणों की मजबूरी बन जाती है. प्रखंड में दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां के लोग छोटी छोटी सड़कों का इंतजार कर रहे हैं. इनमें एक ऐसा ही गांव धनतोला पंचायत के डोरिया गांव भी शामिल है. जहां के सैकड़ों लोगों कई वर्षों से महज तीन सौ मीटर पक्की सड़क का इंतजार कर रहा है.
डोरिया गांव तक जाने वाली पक्की सड़क गांव के मुहाने पर ही समाप्त हो जाती है. उसके बाद गांव में पक्की सड़क का अभाव साफ तौर देखा जा सकता. सड़क के अभाव में यहां के निवासी कीचड़ से जूझते हुए आवाजाही करने मजबूर हैं. यहां के रहने वाले ग्रामीणों को रोज आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
स्कूल जाने वाली छात्राएं कीचड़ में गिड़ते हुए स्कूल जाने को मजबूर हैं. छात्राओं को एक तरफ कीचड़ दूसरी तरफ जमा गंदा पानी, जो कि आये दिन नई मुसीबत खड़ी करता है. इस दोहरी परेशानी को झेलकर बच्चे स्कूल जाते है.
क्या कहते है ग्रामीण
स्थानीय निवासी वीरबहादुर सिंह, लक्ष्मण सिंह, अभिषेक कुमार, विकास कुमार, रंग लाल सिंह, सजन लाल सिंह, हेवर सिंह, विशाल सिंह,उतुंम्भ सिंह, देव नारायण सिंह, धर्म लाल सिंह का कहना है कि राजकुमार के घर से फागु लाल के घर तक करीब तीन सौ मीटर पक्की सड़क का अगर निर्माण हो जाये, तो लोगो को इस समस्या से निजात मिल जायेगा.
मगर इस ओर न तो जनप्रतिनिधि और ना ही प्रशासन ही ध्यान दे रहा है. अगर मुखिया और वार्ड सदस्य चाहे तो जल्द पक्की सड़क का निर्माण कराकर यहा के लोगों को कीचड़ से निजात मिल जायेगा. मगर इनलोगों द्वारा कोई पहल नहीं किया जा रहा है.
बरसात में मरीजों को अस्पताल लाना चुनौती
सड़क विहीन इस गांव में बरसात के दिनों में यदि कोई बीमार हो जाये तो उसका भगवान ही मालिक होता है. मरीज को सड़क तक पहुंचाना लोगों को एक चुनौती साबित होता है. कई बीमार लोगों को खाट पर सुलाकर रोड तक पहुंचाया जाता है. क्योंकि सड़क विहीन डोरिया गांव तक यातायात का साधन न पहुंच पाना, इन लोगों को परेशानी का सबब बनता है.

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