त्याग व आत्म चिंतन का महापर्व है पर्यूषण : पंडित नमन जैन

किशनगंज : दिगंबर जैनियों के पर्वाधिराज महापर्व पर्यूषण का आठवां दिवस है. मंगलवार के दिन को जैन धर्मानुसार उत्तम त्याग का दिन कहा जाता है, इस दिन कन्याओं द्वारा उपवास रखने की भी प्रथा है जिसे वीरा बारस के रूप में मनाया जाता है जो अपने भाइयों की बेहतरी की कामना के लिए होता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2019 7:44 AM

किशनगंज : दिगंबर जैनियों के पर्वाधिराज महापर्व पर्यूषण का आठवां दिवस है. मंगलवार के दिन को जैन धर्मानुसार उत्तम त्याग का दिन कहा जाता है, इस दिन कन्याओं द्वारा उपवास रखने की भी प्रथा है जिसे वीरा बारस के रूप में मनाया जाता है जो अपने भाइयों की बेहतरी की कामना के लिए होता है. पर्यूषण पर्व के दौरान अन्य दिनों के अपेक्षा श्री मंदिर जी में भव्य पूजा, आरती,विधान का आयोजन होता है. इस दौरान शहर में स्थापित एकमात्र जैन मंदिर को पूरी भव्यता से सजाया गया है.

प्रातः शांतिधारा से भगवान का अभिषेक तथा दोपहर को विधान पूजन का कार्य संपन्न होता है, संध्या समय जैन युवा मंडल के द्वारा भव्य आरती के पश्चात पंडित नमन जैन के मुखारविंद से प्रवचन का लाभ धर्मानुरागी ले रहे हैं. अपने प्रवचन में युवा पंडित नमन जैन ने त्याग की महत्ता बताते हुए कहा कि अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जैन धर्म का सम्मान पूरे विश्व में उत्तम त्याग के कारण ही है क्योंकि दिगंबर जैन साधु पूर्ण रूप से बाहरी पदार्थों का त्याग कर चुके होते हैं.
आचार्यों ने भी कहा है कि बाहरी कारणों से आत्मा में विकार उत्पन्न होता है उसे छोड़ने का नाम ही त्याग है, सांसारिक ऐश्वर्या को छोड़कर आध्यात्मिक की उपलब्धि का पुरुषार्थ करना ही त्याग है. आज वीरा बारस के दौरान लगभग 15 बालिकाओं ने 24 घंटे का निराहार उपवास रख कर धर्म की प्रभावना करने का कार्य किया.
वातावरण हुआ तपोमय
इसे आत्मशुद्धि का महापर्व भी कहा जाता है. पयूर्षण का अर्थ है खुद को खोजना. खुद में बसना और रम जाना. दस दिनों तक खुद ही में खोये रहकर खुद को खोजना कोई मामूली बात नहीं है.
आज की दौड़ भाग भरी जिंदगी में जहां इंसान को चार पल की फुर्सत अपने घर-परिवार के लिए नहीं है. वहां खुद के निकट पहुंचने के लिए तो पल-दो पल भी मिलना मुश्किल है. इस मुश्किल को आसान और मुमकिन बनाने के लिए जब यह पर्व आता है. तब समूचा वातावरण ही तपोमय हो जाता है.
ये हैं व्रतधारी पर्यूषण पर्व के व्रतधारियों में अमर कुमार सरावगी, श्रेयांश छाबड़ा, नमन छाबड़ा, रोहित काला, चांदनी काला, रश्मि पाटनी, मीरा देवी पाटनी शामिल है.
वैज्ञानिक सिद्धांतों पर खड़े धर्मों में से एक है पर्यूषण पर्व
दिगंबर जैन धर्मावलंबी दशलक्षण पर्व के रूप में दस दिनों तक पर्यूषण पर्व में आराधना करते है. जिसमें क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, ब्रह्मचर्य, आत्मचिंतन कर अंतर्मुखी बनने का प्रयास करते हैं.
जैन धर्म संसार के सबसे पुराने मगर वैज्ञानिक सिद्धांतों पर खड़े धर्मों में से एक है. इसकी अद्भुत पद्धतियों ने मनुष्य को दैहिक और तात्विक रूप से मांजकर उसे मुक्ति की मंजिल तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त करता है. अनेक पर्व-त्योहारों से सजी इसकी सांस्कृतिक विरासत में शायद सबसे महत्वपूर्ण और रेखांकित करने जैसा सालाना अवसर है पयूर्षण का.
भादो मास का महत्व और चातुर्मास
आत्मचिंतन का यह पर्व हर साल ही चातुर्मास के दौरान भाद्रपद मास में मनाया जाता है. इस अवसर पर कलशाभिषेक, शांतिधारा, पर्व पूजन, संगीतमय नित्यमह पूजन, तत्त्वार्थ सूत्र का वाचन, सामायिक, आरती, शास्त्र प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सम्मान समारोह और अंत में क्षमावाणी पर्व के साथ पर्यूषण महापर्व की समाप्ति होगी.

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