महानंदा के कटाव से पोरलाबारी गांव पर मंडराया बाढ़ का खतरा

किशनगंज : महानंदा नदी का जलस्तर बढ़ने से एक बार फिर नदी का कटाव बढ़ गया है. किशनगंज प्रखंड सहित अमौर तक नदी कटाव से लोग परेशान है. किसान हर साल भूमिहीन बन रहे है. गुरुवार को तेजी से हो रहे कटाव को देख ग्रामीण सहम गये है. महानंदा नदी कटाव से दौला पंचायत के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2019 8:12 AM

किशनगंज : महानंदा नदी का जलस्तर बढ़ने से एक बार फिर नदी का कटाव बढ़ गया है. किशनगंज प्रखंड सहित अमौर तक नदी कटाव से लोग परेशान है. किसान हर साल भूमिहीन बन रहे है.

गुरुवार को तेजी से हो रहे कटाव को देख ग्रामीण सहम गये है. महानंदा नदी कटाव से दौला पंचायत के नदी किनारे बसे गांव के लोगो में भय व्याप्त है. सीमांचल के महानंदा व कनकई नदियों के अमौर विधानसभा, वायसी विधानसभा, कोचाधामन विधानसभा, ठाकुरगंज विधानसभा, बहादुरगंज विधानसभा में नदियों के किनारे बसने वाले दर्जनों गांव के सैकड़ों एकड़ जमीन कटाव होता है.
जिससे किसान मजदूर बन रहे है. किशनगंज के मौजबारी पुल से लेकर डगंढा पुल के बीच महानंदा के दोनों किनारे की गांव जो कोचाधामन और अमौर एवं वायसी विधानसभा क्षेत्र में आता है़
इसकी बरबादी जगजाहिर है़ महानंदा बेसिन परियोजना सिस्टम व शासन के पेंच में ढ़ेर दशक पहले पारित हुआ. जो वर्ष 2004 में महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट अटका नहीं रहता और अब तक इन इलाकों में नदियों का तटबंध और महानंदा व कनकई में पुल बनकर दशकें गुजर जाती और खासकर अमौर वैसा जो देश के सबसे पिछड़ा क्षेत्रों में से है इतना बेहाल व बदहाल नहीं रहता.
समाज सेवी डॉ अबु सायम ने कहा कि किशनगंज प्रखंड के दौला पंचायत के विभिन्न हिस्से में बसे अनेकों गांव नदी कटान से प्रभावित हो रहा है. बायसी अनुमंडल के भी दर्जनों गांव महानंदा व कनकई नदी के कटान से प्रभावित हो रहा है.
जब किसी भी मामले में पानी नाक के ऊपर आ जाता है. लेकिन सरकार स्थायी समाधान नहीं करने में विफल हुई. जबकि नदी कटान होना कोई नयी बात नहीं हजारों गांव महानंदा व कनकई में विलीन हो चुकी है. जिस का नाम भी आज की जेनरेशन को मालूम नहीं होगा. प्रशासन व शासन से लगातार कटाव रोकने की मांग की जा रही है़ लेकिन अब तक कटावरोधी कार्य नहीं हो सका है.

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